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मुंबई: बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने फिल्मी सफर में अपने साथी रहे अभिनेता और राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा के जीवन पर लिखी गई किताब 'एनीथिंग बट खामोश: द शत्रुघ्न सिन्हा बायोग्राफी' लॉन्च की। यह किताब प्रसिद्ध स्तंभकार, आलोचक और लेखक भारती एस प्रधान ने लिखी है। शत्रु की निजी जिंदगी से जुड़े कई खुलासों के चलते किताब अपनी लॉन्चिंग से पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी हैं। लॉन्चिंग के मौके पर दोनों दिग्गजों के बीच कई बातें हुईं। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे के लिये सारी कड़वाहटें भुला दी। लॉन्चिंग के मौके पर शत्रुघ्न ने कहा- 'मेरी जीवनी मनोरंजक और प्रभावशाली है, क्योंकि इसमें अच्छी-बुरी हर तरह की चीजें हैं और इसमें नकारात्मक पहलू को भी ईमानदारी से बताया गया है। मेरा मानना है कि मेरी जीवनी सच्ची और पारदर्शी है। लोग मेरे बारे में बहुत कुछ कहते हैं, जो मुझे पसंद नहीं है, लेकिन इसमें कुछ भी छिपा नहीं है।

अमूमन जीवनियों में संबंधित व्यक्ति की प्रशंसा होती है, लेकिन मेरी जीवनी अलग है, इसलिए यह मनोरंजक और दिलचस्प है।' प्रधान ने सात साल से भी ज्यादा समय में यह किताब लिखी है। इसके लिये उन्होंने 37 साक्षात्कार और सिन्हा परिवार के साथ 200 घंटों से भी ज्यादा समय तक बातचीत की है। इस दौरान शत्रुघ्न एक समय सबसे अच्छे दोस्त रहे अमिताभ के साथ रिश्तों में आई दरार का कारण भी बताया। शत्रुघ्न ने कहा, 'फिल्मों से जो शोहरत अमिताभ चाहते थे, वह मुझे मिल रही थी। इससे अमिताभ परेशान होते थे। इसके चलते मैंने कई फिल्में छोड़ दी और प्रोड्यूसर को राशि तक लौटा दी।' शॉटगन आज भी अमिताभ से दोस्ती टूटने को भूल नहीं पाए हैं। यह उन्हें बार-बार परेशान करता रहता है। जीवनी में भी ये बातें सामने आई हैं। शत्रु लिखते हैं- 'लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑन स्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, पर वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। उनको लगता था कि नसीब, काला पत्थर, शान और दोस्ताना में शत्रुघ्न सिन्हा मुझ पर भारी पड़ गए, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा। काला पत्थर के सेट पर कभी मुझे अमिताभ के बगल वाली कुर्सी ऑफर नहीं की गई। शूटिंग के बाद लोकेशन से होटल जाते हुए कभी अमिताभ ने मुझे अपनी कार में आने के लिए ऑफर नहीं दिया। मुझे ये देखकर आश्चर्य होता था कि आखिर ये क्यों हो रहा है, लेकिन मैंने कभी किसी बात को लेकर शिकायत नहीं की।' साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि अमिताभ का करियर बनाने के लिये उन्होंने कई फिल्में छोड़ दी। वहीं अमिताभ ने शत्रुघ्न की लेटलतीफी के किस्से सुनाए। उन्होंने कहा- 'कुछ आदतें पैदाइशी होती हैं, उन्हें बदलना नहीं चाहिए। हम लोग दो फिल्मों 'शान' (1980) और 'नसीब' (1981) में साथ-साथ काम कर रहे थे। सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक फिल्मसिटी में 'शान' की शूटिंग होती थी। फिल्म के क्लाइमेक्स पर काम कर रहे थे। इसके बाद हमारी छुट्टी होती थी। मैं गाड़ी से चांदीवली स्टूडियो चला जाता था। शत्रुघ्न भी अपनी गाड़ी में बैठ चांदीवली के लिये निकलते थे। मैं ढाई बजे पहुंचता था और ये 6-7 बजे तक आते थे। पहुंचना एक ही जगह है, लेकिन ये कहां चले जाते थे? ये मैं आज इनसे जानना चाहूंगा।' इस पर ठहाके लगाकर हंसते हुए शत्रु बोले, 'बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते। अब बताकर क्या फायदा?'

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