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अमरावती (आंध्र प्रदेश): महिला आरक्षण विधेयक पर मोदी सरकार के मंत्रियों में मदभेद दिख रहे हैं। दरअसल केन्द्रीय संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू के महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने का आश्वासन देने के एक दिन बाद केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री वाई एस चौधरी ने बिलकुल अलग राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वह संसद एवं विधान सभाओ में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। आंध्र प्रदेश की निर्माणाधीन राजधानी अमरावती में राष्ट्रीय 'महिला संसद' के दूसरे दिन चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का अनुभव अच्छा नहीं है क्योंकि परदे के पीछे से आरक्षित पंचायतों को पुरुष ही चला रहे हैं। इसलिए वह संसद एवं विधान सभा में महिलाओं को 33प्रतिशत आरक्षण देने वाले विधेयक के पक्ष में नहीं हैं। चौधरी ने कहा कि देश में हर क्षेत्र महिलाओं के लिए खुला है और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के पद पर भी पहुंच चुकीं हैं। जहां तक महिलाओं के साथ भेदभाव का सवाल है, अमेरिका जैसे देश में भी उनके साथ भेदभाव होता है। चौधरी ने कहा कि हमारे देश की ऐसी छवि पेश की जाती है कि यहां पर महिलाओं के साथ हिंसा होती है, इससे महिलाओं का आत्मविश्वास कम होता है। भारत में महिलाओं की स्थिति बेहतर है और उनका सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि मांए खुद बेटियों के मुकाबले बेटों को वरीयता देती हैं।

उल्लेनीय है कि नायडू ने कल यहां अपने संबोधन में कहा था कि महिला आरक्षण विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और राज्य सभा में बहुमत मिलने पर भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक को पारित करायेगी। नायडू ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया था कि महिलाओं को आरक्षण देने पर प्रतिबद्धता व्यक्त करें।

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