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आमतला (प.बंगाल): राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज उस वक्त पुरानी यादों में खो गए जब वह उस कॉलेज में पहुंचे जहां उन्होंने 53 साल पहले राजनीति में आने से पूर्व पढ़ाया था। मुखर्जी ने कहा कि उनका विद्यानगर कॉलेज के साथ लंबे और यादगार संबंध रहे हैं जहां उन्होंने 1960 के दशक में पांच साल तक पढ़ाया था। उन्होंने कहा, जब कभी मैं इस कॉलेज में आया तो पुरानी यादों की भावना से अभिभूत हो गया। वह दक्षिणी 24 परगना स्थित इस कॉलेज में जनवरी, 2013 में पहुंचे थे। उस वक्त उन्होंने एक नयी इमारत की आधारशिला रखी थी और आज उसी का उद्घाटन किया। मुखर्जी ने कहा कि शिक्षक के तौर पर कॉलेज से जुड़ने के एक महीने के बाद वह संचालन इकाई में शिक्षकों के प्रतिनिधि चुने गए और बाद में वह कॉलेज के उप प्राचार्य बने।

बाद में वह स्थानापन्न प्राचार्य बने। साल 1968 में कॉलेज के संस्थापक हरेंद्रनाथ मजूमदार के प्रोत्साहित करने पर मुखर्जी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से जुड़ गए। राष्ट्रपति ने याद किया कि जब उन्होंने बतौर शिक्षक करियर की शुरुआत की तो उस वक्त मुश्किल से 40-50 छात्र हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि अब यह बड़ा संस्थान बन चुका है। भारत में शिक्षा का किस तरह से विस्तार हुआ है उसका उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि देश भर में अब 712 विश्वविद्यालय और 36,671 कॉलेज हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में शिक्षा के विस्तार में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नजरिये को लेकर उनको धन्यवाद दिया और कहा कि ममता ने लोगों के स्वास्थ्य में सुधार पर भी जोर दिया है। मुखर्जी ने कॉलेज के विस्तार की दिशा में प्रतिबद्धता तथा नौकरशाही की लाल फीताशाही पर अंकुश लगाने में मदद के लिए यूजीसी प्रमुख प्रोफेसर वेद प्रकाश का भी धन्यवाद किया। राष्ट्रपति ने कहा कि कॉलेज पूरी दृढ़ता और समर्पण के साथ समाज की सेवा करते आ रहे हैं। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, विधानसभा उपाध्यक्ष सोनाली गुहा, राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और डायमंड हार्बर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी मौजूद रहे।

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