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पटना: बिहार की राजनीति पिछले एक महीने से गर्म है। नीतीश कुमार ने महागठबंधन को छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया है। नीतीश कुमार के गठबंधन से अलग होने के बाद राजद और जदयू के बीच लंबे समय तक शह-मात का खेल देखने को मिला। विधानसभा में विश्वास मत के दौरान भी तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था।
इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पहली बार गुरुवार को लालू प्रसाद और नीतीश कुमार एक दूसरे के आमने-सामने हुए। इस दौरान दोनों नेताओं में कुछ खास तल्खी देखने को नहीं मिली। पूरे मामले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि नीतीश कुमार मुस्कुराते हुए हाथ जोड़े लालू यादव से हाल चाल पूछ रहे हैं।
लालू यादव के साथ उनके बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी थे। हालांकि यह मुलाकात बहुत ही कम समय की रही। लालू प्रसाद राज्यसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के नामांकन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे।
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पटनाः नीतीश कुमार ने विश्वासमत हासिल कर लिया है। प्रस्ताव के पक्ष में 129 वोट पड़े। वहीं विपक्ष ने वोटिंग के दौरान वॉकआउट किया। ऐसे में विपक्ष में शून्य वोट पड़े। विश्वासमत पर वोटिंग के नतीजे आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, आनंद मोहन के बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रह्लाद यादव वोटिंग से पहले सत्ता पक्ष के खेमे में जाकर बैठ गए। इसी से साफ हो गया कि नीतीश कुमार आसानी से बहुमत हासिल कर लेंगे।
बिहार में एनडीए के पास 128 विधायक थे। एक वोट विधानसभा स्पीकर का कम हुआ। एक विधायक दिलीप राय विधानसभा नहीं पहुंच सके। ऐसे में यह संख्या 126 हो गई। इसमें तीन आरजेडी विधायकों का समर्थन जुड़ने से पक्ष में वोट करने वालों की संख्या 129 हो गई।
वोटिंग से पहले बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। आरजेडी ने दावा किया था कि खेला होगा, लेकिन तीन विधायकों के टूटने से खेल पलट गया।
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पटना: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज है। एनडीए और महागठबंधन के बीच शह-मात का खेल जारी है। दोनों ही गठबंधनों की तरफ से अपने-अपने विधायकों को साधने का प्रयास जारी है। इस बीच सोमवार को बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है। नीतीश कुमार को अपनी सरकार को बचाने के लिए 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। हालांकि उन्होंने राज्यपाल के सामने 128 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि जदयू और बीजेपी के कुछ विधायक विद्रोह कर सकते हैं। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है।
एनडीए का दावा है कि जदयू, बीजेपी, हम और निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ हमारे पास 128 विधायकों का समर्थन हासिल है, जो बहुमत से 5 अधिक है। वहीं विपक्षी दल विधानसभा में 'खेला' होने की बात कह रहे हैं।
बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। राजद के पास 79 विधायक हैं।
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पटना (जनादेश ब्यूरो): बिहार में शक्ति परीक्षण से पहले सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड जेडीयू की एक अनौपचारिक बैठक में पार्टी के पांच विधायक नदारत रहे। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थोड़ी देर के लिए इस बैठक में पहुंचे थे। इसके बाद सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाज़ार गरम हो गया है।
दूसरी तरफ, सोमवार 12 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधानसभा में अपनी नई ‘एनडीए‘ सरकार का विश्वास मत हासिल करना है।
मंत्री श्रवण कुमार कुमार द्वारा शनिवार को जदयू विधायकों को दिए गए दिवा भोज की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा रही। चर्चा इस बात की होती रही कि जदयू के पांच विधायक इस एकजुटता भोज में नहीं दिखे। कहा गया कि पूर्व से तय अपने कार्यक्रम के कारण वे लोग नहीं आए। यह जानकारी भोज के आयोजक को दे दी थी। रविवार को मंत्री विजय चौधरी के आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक में इनकी मौजूदगी रहेगी। जदयू विधायक डॉ. संजीव, शालिनी मिश्रा, सुदर्शन, दिलीप राय व बीमा भारती की श्रवण कुमार के आवास पर आयोजित भाेज में गैरमौजूदगी रही।
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