ओटावा: कनाडा पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में शुक्रवार को तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों गिरफ्तार भारतीय नागरिक बताए जा रहे हैं। उनके नाम करण बरार (22), कमलप्रीत सिंह (22), करणप्रीत सिंह (28) हैं। ये तीनों करीब 3 से 5 साल से एडमॉन्टन, अल्बर्टा में रह रहे थे। ये जानकारी आरसीएमपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।
कनाडा पुलिस का कहना है कि उन पर फर्स्ट डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच के शुरू होने से पहले पुलिस को इन लोगों के बारे में नहीं पता था।
भारत पर फिर मढ़ा आरोप
कनाडा पुलिस का कहना है कि वह अब तीनों संदिग्धों की भारत सरकार से संभावित संबंधों की जांच कर रही है, हालांकि उन्होंने कोई और विवरण नहीं दिया। जांच कर रही टीम का कहना है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ कई सालों "काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण" रहे हैं।
कनाडा पुलिस का मानना है कि गिरफ्तार किए गए तीनों संदिग्ध उस ग्रुप का हिस्सा हैं, जिनको भारत सरकार ने खालिस्तानी निज्जर की हत्या की जिम्मेदारी सौंपी थी।
निज्जर की हत्या के आरोप में 3 भारतीय गिरफ्तार
आईएचआईटी के प्रभारी अधिकारी और सुपरीटेंडेंट मंदीप मुकर और आरसीएमपी सहायक आयुक्त डेविड टेबौल और ब्रायन एडवर्ड्स ने पत्रकारों से बातचीत में तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी की पुष्टि की। जानकारी के मुताबिक कनाडा पुलिस ने तीनों संदिग्धों की पहचान पहले ही कर ली थी और लगातार उन पर नजर रख रही थी। पुलिस ने एक तलाशी अभियान के दौरान तीनों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों की पहचान भारतीय नागरिकों के रूप में की गई है। बता दें कि जून 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर सरेआम हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का आरोप कनाडा ने भारत पर मढ़ दिया था।
कनाडा का भारत पर गंभीर आरोप
कनाडा खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगातार भारत पर लगाता रहा है। पिछले साल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बताया था। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में घोषणा की थी कि कनाडाई अधिकारी भारतीय सरकारी एजेंटों के कनाडाई नागरिक निज्जर की गोलीबारी में हत्या से जुड़े किसी भी संभावित लिंक को लेकर जांच कर रही है। हालांकि भारत ने इसे पूरी तरह से बेतुका और प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया था। हालांकि कनाडा के इस तरह के आरोपों के बाद से दोनों ही देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई और बड़ा राजनयिक विवाद खड़ा हो गया था।