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नई दिल्ली: दलितों के बीच पहुंच को बढ़ाने की पहल करते हुए सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) की पूंजी हिस्सेदारी को 1,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,200 करोड़ रुपये करने का निर्णय किया। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों से जुड़ी योजनाओं का बेहतर पोषण करना है। एनएसएफडीसी एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एनएसएफडीसी के कोष को बढ़ाने की मंजूरी दी गई। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'इस मंजूरी से आर्थिक गतिविधियों के लिए निर्धारित कोष में इजाफा होगा।

इससे दायरा बढ़ेगा और अनुसूचित जाति के गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वालों तक पहुंच बढ़ेगी।' अधिकृत शेयर पूंजी में बढोत्तरी की वजह से आर्थिक तौर पर वंचित अनुसूचित जाति की आबादी के एक बड़े हिस्से तक करवेज बढ़ेगा और ज्यादा लोगों को कोष उपलब्ध कराया जा सकेगा। वर्ष 2015-16 के दौरान एनएसएफडीसी ने 63000 लोगों तक पहुंच बनाने का लक्ष्य रखा है। एनएसएफडीसी 37 राज्य एजेंसियों के माध्यम से 32 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी योजनाओं को लागू करती है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इसमें 1000 करोड़ रुपये की अपनी अधिकृत पूंजी हिस्सेदारी में से 998.13 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इसलिए उसके लिए अधिकृत पूंजी हिस्सेदारी को बढ़ाना जरूरी हो गया था।

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