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कोहिमा: नगालैंड में अफस्पा को हटाने की मांग तेज होती जा रही है। सोमवार को नगालैंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तहत पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा ) को हटाने की मांग केंद्र सरकार से की गई है। विधानसभा में 5 बिंदुओं वाला एक प्रस्ताव पारित किया गया है और इसके लिए विशेष तौर पर विधानसभा सत्र बुलाया गया था।
विधानसभा में नगा शांति वार्ता के तहत समाधान प्रक्रिया भी जल्द पूरा करने की मांग की गई है। वहीं नगालैंड में सेना के ऑपरेशन में हुई चूक को लेकर उचित प्राधिकार की ओर से माफी की मांग भी की गई है।
नगालैंड सरकार ने नागरिक कानूनों के तहत इस मामले में पूरा न्याय करने का भरोसा भी दिलाया है। ताकि इस हत्याकांड के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जा सके। नगालैंड विधानसभा ने मोन जिले के नागरिकों, सिविल सोसायटी और अन्य संगठनों से संयम बरतने की भी अपील की है। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने कहा कि लंबी चर्चा के बाद हमने ये प्रस्ताव पारित किया है।
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कोहिमा: सेना के उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान नगालैंड के मोन जिले में 14 नागरिकों की मौत को लेकर पूरे राज्य में चल रहा विरोध, अब राजधानी कोहिमा तक पहुंच गया हैं। नगा स्टूडेंट फेडरेशन (एनएसएफ) ने आज शहर में एक विशाल विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। जिसमें हजारों की संख्या में लोग, मारे गए आम नागरिकों को न्याय दिलाने और विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशन पावर्स एक्ट (अफस्पा) को रद्द करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे।
गौरतलब है कि सुरक्षा बलों की गोलीबारी की कुछ घटनाओं में चार और पांच दिसंबर को मोन जिले में कुल 14 आम नागरिक मारे गए थे। गोलीबारी की पहली घटना का कारण ‘‘गलत पहचान'' को बताया गया था। प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां ले रखीं थी जिस पर, 'अफस्पा को रद्द करने से पहले कितनी बार गोली चलाई जानी चाहिए' और 'अफस्पा को बैन करो, जैसे नारे लिखे हुए थे। शुक्रवार की रैली, प्रदर्शन का लगातार तीसरा दिन होने के कारण ही अहम नहीं थी बल्कि यह इस बात का भी संकेत था कि मामले को लेकर नगा लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है।
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गुवाहाटी: नगालैंड के मोन जिले में सेना के पैरा स्पेशल फोर्सेज के एक असफल अभियान के दौरान 14 युवाओं की दुखद मौत के एक हफ्ते बाद, पीड़ित परिजनों और ग्रामीणों ने फैसला किया है कि जब तक सेना के आरोपी जवानों को न्याय प्रक्रिया के दायरे में लाने की कार्रवाई नहीं हो जाती और विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को हटा नहीं दिया जाता, तब तक कोई सरकारी मुआवजा नहीं लेंगे। रविवार (12 दिसंबर) को यह फैसला मोन जिले के ओटिंग गांव में मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों ने लिया। सेना के असफल ऑपरेशन में मरने वाले 14 लोगों में से 12 इसी गांव के रहने वाले थे।
ओटिंग की ग्राम परिषद द्वारा जारी एक बयान में स्पष्ट किया गया है कि उनके पास एक मंत्री और जिले के उपायुक्त द्वारा 1,83,000 रुपये का एक लिफाफा लाया गया था। बयान में कहा गया है, "ग्राम परिषद ओटिंग इसे माननीय मंत्री पाइवांग कोन्याक का प्यार और उपहार के प्रतीक के रूप में मानती है।" उनका कहना है कि उन्हें बाद में पता चला कि यह राज्य सरकार द्वारा भुगतान की जाने वाली मुआवजे की अग्रिम किस्त का भुगतान था।
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कोहिमा: नगालैंड में बेकसूर ग्रामीणों की सुरक्षाबलों के हाथों मौत का मामला गरमाता जा रहा है। शनिवार को नगालैंड की राजधानी कोहिमा में बड़ा विरोध प्रदर्शन निकाला गया। इसमें गृह मंत्री अमित शाह और अफस्पा कानून के खिलाफ लोगों की नाराजगी देखी गई। मालूम हो कि नगालैंड के मोन जिले में पिछले हफ्ते सेना के हाथों मुठभेड़ में हुई चूक के दौरान 8 ग्रामीण मारे गए थे। इसके बाद भड़की हिंसा में 6 और ग्रामीणों की मौत हुई थी, जबकि एक सैनिक की जान गई थी।
मोन जिले में प्रदर्शनकारियों ने संसद में पिछले हफ्ते दिए गए अमित शाह के बयान को झूठा और बनावटी करार दिया और उनसे माफी की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने उनका पुतला जलाया और अपना आक्रोश जाहिर किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अफस्पा को नगालैंड से तुरंत हटाया जाना चाहिए। उन्हें आशंका है कि अफस्पा का इस्तेमाल इस मामले में शामिल सैनिकों को बचाने के लिए किया जा सकता है।
प्रदर्शन करने वालों में ओटिंग गांव के ग्रामीण भी शामिल थे, जिनके समुदाय के लोग उस घटना में मारे गए थे। ये जनजातियां कोनयाक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से माफी की मांग की है।
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