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इंफाल: मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव बृहस्पतिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनके परिजनों को सौंप दिए गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी. हिंसा की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में 175 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 169 शवों की पहचान कर ली गई।
अधिकारियों ने बताया कि ये शव अस्पतालों के मुर्दाघर में रखे हुए थे। मई में मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के दौरान मारे गए इन लोगों में से 60 लोग कुकी समुदाय से थे। उन्होंने कहा कि चार अन्य शव मेइती समुदाय के लोगों के थे। मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गई थी।
‘कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी' नामक संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘हिंसा में मारे गए कुकी लोगों'' का अंतिम संस्कार शुक्रवार को फैजांग के शहीद कब्रिस्तान में किया जाएगा।
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इंफाल: मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में उग्रवादियों के दो समूहों के बीच गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्टस में अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी गई है। अधिकारी ने कहा कि यह घटना सोमवार दोपहर को लीथू गांव में हुई।
उन्होंने कहा, ''म्यांमार जा रहे उग्रवादियों पर इलाके में प्रभावी विद्रोहियों के एक अन्य समूह ने घात लगाकर हमला किया। मौके पर पहुंचे सुरक्षाबलों को 13 शव मिले हैं, उनकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। अधिकारी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे स्थानीय निवासी नहीं थे। तेंगनौपाल जिला म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है।
मणिपुर में मई महीने में हिंसा की चिंगारी सुलगी थी
बता दें कि इसी साल मई महीने में राज्य में हिंसा की चिंगारी सुलगी थी। इसी के बाद हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और करीब 175 लोगों की जान चली गई। ज्यादातर इलाके में अब भी इंटरनेट बंद हैं।
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नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा से प्रभावित छात्रों को विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में ट्रांसफर करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया हैं। जिससे 284 छात्रों में नई उम्मीद जागी है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन विकल्प दिए हैं। यह आदेश इंफाल के मणिपुर विश्वविद्यालय में छात्रों की दुर्दशा को उजागर करने वाली याचिका पर आया है। याचिका में कहा गया है कि कई छात्र राज्य से भाग गए हैं और उनके लिए वापस लौटना मुश्किल होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जो तीन विकल्प दिए हैं, वो इस प्रकार हैं-
एक, असम विश्वविद्यालय, सिलचर या नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग में दाखिल लें, इच्छुक छात्रों को मणिपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क करने के लिए कहा गया। दो, ऑनलाइन कक्षाएं: केंद्र, राज्य से कहा गया कि जो भी छात्र इस मोड को चुनना चाहते हैं, उन्हें यह व्यवस्था प्रदान की जाए।
तीन जो छात्र उपरोक्त दो उपायों को चुनने के इच्छुक नहीं हैं और उनकी समस्याएं बनी रहती हैं, उन्हें जस्टिस गीता मित्तल समिति के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करनी होगी।
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इंफाल: मणिपुर के सबसे पुराने सशस्त्र उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति जताते हुए शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बुधवार (29 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सब 60 साल बाद हो रहा है, जो एक बड़ी सफलता है।
'मोदी-शाह के प्रयासों से 60 साल बाद हो रहा ये जादू': सिंह
एक साक्षात्कार के दौरान मणिपुर सीएम सिंह ने कहा, ''शांति वार्ता के प्रयास सालों से किए जा रहे थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही थी। यह हस्ताक्षर आज पीएम मोदी के नेतृत्व में हुआ है। मैं प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बधाई देता हूं, जिन्होंने शांति लाने के लिए कड़ी मेहनत की।''
उन्होंने कहा, ''यूएनएलएफ के कैडर शांति के मार्ग पर चलने के लिए सहमत हुए हैं। मैं इसके लिए सदस्यों की सराहना करता हूं। मुझे उम्मीद है कि राज्य में उग्रवादी और हथियार उठाने वाले भी शांति का रास्ता अख्तियार करेंगे।''
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