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नई दिल्ली: मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को दिल्ली की एक अदालत ने अफ्सपा हटाने की मांग को लेकर वर्ष 2006 में जंतर मंतर पर आमरण अनशन के दौरान कथित तौर पर आत्महत्या करने के प्रयास के मामले में बुधवार को बरी कर दिया। फैसला पारित होने के बाद 42-वर्षीय शर्मिला ने कहा कि अफ्सपा हटाने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। वह सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को वापस लेने की मांग करते हुए मणिपुर में 16 सालों से अनशन पर हैं। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने आदेश पारित करते हुए कहा, मामले से आरोपी को बरी किया जाता है। अदालत कक्ष के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए शर्मिला ने कहा, अफ्सपा को हटाए जाने तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा। यह मायने नहीं रखता कि मुझे जेल से रिहा किया जाता है या नहीं। अदालत ने उनसे 10 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने को कहा। बहरहाल उन्होंने मुचलका भरने से इनकार करते हुए कहा, 'मैं महात्मा गांधी के पथ का अनुसरण कर रही हूं।' उनके वकील वीके ओहरी ने अदालत कक्ष के बाहर उन्हें निजी मुचलका भरने की महत्ता को समझाने का प्रयास किया।
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इंफाल: आफस्पा हटाने की मांग को लेकर नवंबर 2000 से भूख हड़ताल पर बैठीं ईरोम शर्मिला चानू द्वारा 29 फरवरी को अपना अनशन फिर से शुरू किए जाने के कारण उन्हें और एक बार गिरफ्तार किया गया। सरकारी अधिकारी के मुताबिक, हालांकि पुलिस ने अभी तक उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है और गिरफ्तारी को जायज ठहराने के लिए संबंधित धाराओं की तलाश में जुटी है। इंफाल की एक अदालत ने 29 फरवरी को आत्महत्या के मामले में शर्मिला को बरी कर दिया था, और उसी दिन से उन्होंने शहर के बीटी पार्क में अपना अहिंसक प्रदर्शन फिर से शुरू कर दिया। शर्मिला ने डॉक्टरों की टीम को मेडिकल जांच करने से भी मना कर दिया।
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इंफाल: इंफाल की एक अदालत ने मणिपुरी अधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आज आदेश दिया जो कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) निरस्त करने की मांग को लेकर 15 सालों से अनशन पर हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) (पूर्व) ने शर्मिला को रिहा करने का आदेश दिया, जिस पर अफ्सपा निरस्त करने को लेकर दबाव बनाने के वास्ते एक अनिश्चितकालीन अनशन करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आरोप लगाया गया है। अदालत ने शर्मिला को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि इस महिला के खिलाफ आत्महत्या के प्रयास का कोई सबूत नहीं है। शर्मिला ने अदालत परिसर में मीडिया से कहा कि उन्हें भरोसा है कि वह लोगों की सहयोग से अफ्सपा निरस्त करने की अपनी मांग प्राप्त कर लेंगी। उन्होंने अपनी मांग के लिए अपना अनशन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।
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