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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सीमा के मुद्दे पर भारत एवं चीन की अवधारणा में अंतर के बावजूद दोनों देशों की सेना इतनी समझदार हैं कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम कर सकें। उन्होंने साथ ही कहा कि बुम ला दर्रा के निकट एलएसी पर कोई तनाव नहीं है। राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा पर बुम ला की अग्रिम चौकी का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने हर तरह के हालात में बहुत परिपक्वता दिखाने के लिए भारतीय सेना को बधाई दी।

उन्होंने कहा, मुझे यहां जवानों से बात करने का मौका मिला। मुझे अपने जवानों से यह जानकर बहुत खुशी हुई कि भारत-चीन की इस सीमा पर, जो कि एलएसी है, हम बहुत समझदारी से काम कर रहे हैं और चीन की पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) भी समझदारी से काम कर रही है। बुम ला दर्रा के निकट इस एलएसी में यहां कोई तनाव नहीं है। रक्षा मंत्री ने परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार जोगिंदर सिंह के स्मारक के भी दर्शन किए। सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 के युद्ध के समय अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए बलिदान दिया था।

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि रेलवे लाइन के तवांग पहुंचने से चीन को मुहतोड़ जवाब मिलेगा। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री, सुरेश अंगड़ी ने मंत्रालय और रेलवे के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री पेमा खांडू से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान, अरुणाचल प्रदेश में चल रही और प्रस्तावित रेलवे लाइनों को फास्ट ट्रैक करने पर दोनों के बीच चर्चा हुई। खांडू ने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न इस राज्य के लिए कनेक्टिविटी ही एकमात्र अड़चन है। उन्होंने राज्य में रेलवे कनेक्टिविटी प्रदान करने में मंत्रालय से विशेष ध्यान देने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, विशेष रुप से तवांग जिला, जो सबसे ज्यादा विवादित है। रेलवे द्वारा यहां लाइन बिछाने के बाद चीन को यह एक मुंहतोड़ जवाब होगा। साथ ही उन्होंने मंत्रालय से सेला टनल पर काम में तेजी लाने के लिए आग्रह किया है, जो तवांग जिले से भालुकपोंग तक जाती है। नाहरलागुन और गुवाहाटी के बीच शुरू की गई शताब्दी एक्सप्रेस के बारे में बात करते हुए, खांडू ने कहा कि यात्रियों में इसके लिए सबसे अधिक मांग है। हालांकि, उन्होंने नाहरलागुन से ट्रेन के प्रस्थान समय को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया।

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के चगलगाम में एक नदी के ऊपर चीन द्वारा पुल बनाए जाने को लेकर बुधवार को भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा कि मैकमोहन रेखा चगलगाम से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में अगर चाइना चगलगाम से 25 किलोमीटर की दूरी पर भी पुल का निर्माण करता है तो इसका मतलब है कि वह हमारी सीमा से 60-70 किलोमीटर अंदर घुस चुका है।

सांसद तापिर गाओ ने कहा कि मैं इसके लिए सेना पर या उस इलाके में गश्त करने वाली टीमों पर उंगली नहीं उठा रहा हूं, क्योंकि उन इलाकों में पेट्रोलिंग करने के लिए सड़कें ही नहीं हैं तो सुरक्षा बल वहां का जायजा कैसे लेंगे। सरकार पर भरोसा जताते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि मुझे सरकार पर विश्वास है। मैं चाहता हूं कि सरकार इस मामले का संज्ञान ले। मैं खुद भी इस पर काम करूंगा।

नई दिल्ली: सेना, वायु सेना और पर्वतारोहियों के एक दल ने अरुणाचल प्रदेश में एएन-32 विमान के मलबे वाली जगह पर जाने के लिए बुधवार को उड़ान भरी। यह दल इस हादसे में यात्रियों के जीवित बचे होने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने मंगलवार को एएन-32 विमान का मलबा पहाड़ी इलाके के घने जंगल में देखा था। इस विमान के लापता होने के आठ दिनों बाद इसका मलबा देखा गया था। इसमें कुल 13 लोग सवार थे। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह बचाव दल हादसे में लोगों के जीवित होने के बारे में जानकारी जुटायेगा।

रूस निर्मित एएन-32 विमान असम के जोरहाट से तीन जून को चीन की सीमा के निकट मेनचुका एडवांस्ड लैंडिग ग्राउंड जा रहा था। उसके उड़ान भरने के 33 मिनट में ही दोपहर एक बजे संपर्क टूट गया। विमान के लापता होने के बाद वायु सेना ने व्यापक तलाश अभियान शुरू कर दिया और गत मंगलवार को विमान का मलबा लिपो क्षेत्र के उत्तर में करीब 12,000 फुट की ऊंचाई पर देखा गया।

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