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बीजिंग: चीन और भारत ने पूर्वी लद्दाख में विवाद को हल करने के लिए पारस्परिक समाधान खोजने के लिए ठोस संचार बनाए रखा है। चीन की सेना ने कहा कि हम भारत के साथ संबंधों को महत्व देते हैं।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों को लेकर भारत और चीन की सेना में अक्सर गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों के बीच व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद से कई क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे किया गया है।

हमारे बीच लगातार सकारात्मक चर्चा हो रही: झांग

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल झांग जियाओगांग ने कहा कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की सीमा विवाद की चिंताओं को हल करने के लिए ठोस संचार, गहन बातचीत और सकारात्मक चर्चा की है। बहुत जल्द ही हम समाधान के साथ सामने होंगे। गुरुवार को भारत और चीन के बीच 19 फरवरी को हुई कमांडर स्तर की वार्ता का झांग जियाओगांग ने जिक्र किया।

दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाएंगे: झांग

वरिष्ठ कर्नल झांग जियाओगांग ने कहा कि हम दोनों देशों के सैन्य संबंधों को महत्व देते हैं। उम्मीद है कि भारत और चीन एक ही लक्ष्य की दिशा में काम करेंगे। साथ ही दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाएंगे। हम मतभेदों के जल्द सुलझाएंगे। 19 फरवरी को हुई वार्ता पूर्वी लद्दाख गतिरोध को हल करने के लिए दोनों सेनाओं के बीच 21वें दौर की वार्ता थी।

क्या है मामला

मई 2020 में चीन की सैन्य घुसपैठ के चलते गलवान घाटी में विवाद बढ़ा, जो दशकों में भारत और चीन के बीच सबसे गंभीर सैन्य विवाद था। चीनी सेना के मुताबिक, दोनों पक्ष अब तक चार बिंदुओं गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानान दबन (गोगरा) पर पीछे हटने पर सहमत हुए हैं, जिससे सीमा पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन देपसांग और डेमचोक में एक समान समझौते पर पहुंचने को लेकर बातचीत में गतिरोध आ गया, जहां भारतीय पक्ष ने दो लंबित मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डाला।

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