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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे 170 घंटों से ज्यादा समय हो चुका है। लेकिन अब तक वह बाहर नहीं निकाले जा सके हैं। रेस्क्यू टीम मलबे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। लंबे समय से सुरंग में फंसे रहने की वजह से मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है। रेस्क्यू टीम के अधिकारी आज ड्रिल से पहाड़ी की चोटी से वर्टिकल होल करने की कोशिश करेंगे, जिसके नीचे ढही सुरंग के अंदर पर्याप्त खाना पहुंचाया जा सके और श्रमिकों से बातचीत होती रहे।

वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए प्लेटफॉर्म बनाने का काम जारी

मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगवाई गई हाई परफॉर्मेंस वाली ड्रिलिंग मशीन को साइट पर लाए जाने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए प्लेटफॉर्म बनाने का काम शनिवार शाम को ही शुरू कर दिया गया था। टनल में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के लिए पीएमओ के अधिकारियों की एक टीम और साइट पर विशेषज्ञ पांच योजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं।

देहरादून (जनादेश ब्यूरो): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में दर्जनों मजदूर करीब 150 घंटे से फंसे हुए हैं और उन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर कवायद की जा रही है। शुक्रवार शाम अचानक "दरार आने की आवाज" सुनने के बाद बचाव अभियान रुक गया और ड्रिलिंग मशीन में भी खराबी आ गई। रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में जुटे अधिकारियों ने बताया है कि दुर्घटनास्थल पर दूसरा भारी ड्रिल विमान से भेजा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि आज फिर से रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन शुरू हो जाएगा।

रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन रुकने पर परिजन चिंतित

शुक्रवार को रेक्स्यू ऑपरेशन को बड़ा झटका तब लगा, जब अमेरिकी ऑगर मशीन बीच में ही खराब हो गई। मशीन की बेयरिंग खराब होने की वजह से वह आगे ही नहीं बढ़ सकी। करीब 25 मीटर की ड्रलिंग के बाद मशीन नीचे किसी मेटेलिक चीज़ से टकरा गई। इससे तेज आवाज आई। दोपहर 2:45 के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया।

उत्तरकाशी: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले चार दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बड़े व्यास के स्टील पाइपों से 'एस्केप टनल' तैयार करने हेतु अधिक क्षमता की अमेरिकी ऑगर मशीन से फिर ड्रिलिंग शुरू कर मलबे को भेदने के प्रयास बृहस्पतिवार को तेज कर दिए गए।

अधिकारियों ने यहां कहा कि सुरंग के अंदर ड्रिलिंग उपकरणों को लगभग स्थापित किया जा चुका है और जल्द ही ड्रिलिंग फिर शुरू कर दी जाएगी।

एनएचआईडीसीएल की ओर से सुरंग का निर्माण कर रही नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी जीएल नाथ ने सुबह करीब आठ बजे कहा, ‘‘मशीन को स्थापित किए जाने का लगभग 95 प्रतिशत काम हो चुका है और अब से एक—डेढ़ घंटे में ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा।’’ नई ड्रिलिंग मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया बुधवार रात 11 बजे शुरू की गयी थी। नाथ ने उम्मीद जाहिर की कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द ही सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।

नई दिल्ली/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में पांच दिन से 40 मजदूर फंसे हुए हैं। ये टनल 12 नवंबर की सुबह अचानक धंस गई थी। अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए गुरुवार सुबह नए सिरे से 'अमेरिकन ऑगर' मशीन को इंस्टॉल कर रेस्क्यू का काम शुरू किया गया है। इस मशीन को बुधवार देर शाम भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया था। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की रेस्क्यू टीमों से भी सलाह ली जा रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि मजदूरों के रेस्क्यू में 2 से 3 दिन और लग सकते हैं।

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। 12 नवंबर (रविवार) को अचानक टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंस गई। जिससे ये मजदूर बफर जोन में फंस गए। मलबा 70 मीटर तक फैला गया है। फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

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