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रामेश्वरम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तमिलनाडु के रामेश्वरम में श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री ने यहां समुद्र में पवित्र डुबकी भी लगाई।

इससे पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने यहां श्रीरंगम में रामायण से जुड़े प्राचीन मंदिर श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की और विद्वानों से ‘कंब’ रामायण का पाठ सुना। तमिलनाडु के इस प्राचीन मंदिर में आने वाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने इस दौरान पारंपरिक परिधान ‘वेष्टि’ (धोती) और ‘अंगवस्त्रम’ (शॉल) पहना था और भगवान विष्णु के मंदिर में पूजा-अर्चना की।

मोदी ने इस दौरान श्री रंगनाथस्वामी के दर्शन किए। उन्हें मंदिर के पुजारियों ने ‘सदरी’ प्रदान की। प्रधानमंत्री ने वैष्णव संत-गुरु श्री रामानुजाचार्य और श्री चक्रथाझवार को समर्पित कई ‘सन्नाधि’ (देवताओं के लिए अलग-अलग पूजास्थल) में प्रार्थना की। उन्होंने मंदिर में हाथी को भोजन देकर उसका आशीर्वाद भी प्राप्त किया। मंदिर के इष्टदेव को तमिल में ‘रंगनाथर’ के नाम से जाना जाता है।

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, श्रीरंगम में श्री रंगनाथस्वामी की मूर्ति भगवान विष्णु का एक रूप है जिसकी मूल रूप से पूजा भगवान राम और उनके पूर्वजों ने की थी। विभीषण ने जब भगवान श्रीराम से बहुमूल्य उपहार मांगा तो भगवान ने उन्हें यह मूर्ति भेंट की और इसकी पूजा करने को कहा था।

भगवान रंगनाथ की मूर्ति को विभीषण की तत्वधान में दैवीय इच्छा के अनुसार श्रीरंगम मंदिर में स्थापित किया गया था। मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए श्री राम के आराध्य रंगनाथस्वामी से आशीर्वाद मांगा है।

मंदिर में प्रधानमंत्री ने ‘कंब’ रामायण के छंद सुने जो रामायण के प्राचीन संस्करणों में से एक है। ‘कंब’ रामायण की रचना महान तमिल कवि कंबर ने 12वीं शताब्दी में की थी। प्रधानमंत्री ने जिस मंदिर में दर्शन किए हैं उसका ‘कंब’ रामायण से गहरा संबंध है।

श्रीरंगम मंदिर में ही कंबर ने सार्वजनिक रूप से अपनी रामायण प्रस्तुत की थी जो लोगों को खूब पसंद आई. कंबर को ‘कवि चक्रवर्ती’ के नाम से भी जाना जाता था। उस अवसर की स्मृति में आज भी एक ‘मंटप’ है जिसे ‘कंब रामायण मंटपम’ कहा जाता है।

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, मोदी आज उसी स्थान पर बैठे थे जहां कवि कंबर ने पहली बार तमिल रामायण का गायन किया था। इससे तमिल, तमिलनाडु और श्री राम के बीच गहरे संबंध को बल मिला। मंदिर की ओर से मोदी को पारंपरिक रूप से ‘वस्त्रम’ यानि शॉल और कपड़े भेंट किए गए। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि वस्त्रों को अयोध्या में श्री राम मंदिर ले जाया जाएगा जहां सोमवार को भव्य मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है।

श्रीरंगम मंदिर तमिलनाडु का एक प्राचीन वैष्णव मंदिर है और यह संगम युग का है। विभिन्न राजवंशों ने इस मंदिर का निर्माण और विस्तार किया। इस मंदिर के निर्माण में चोल, पांड्य, होयसल और विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने योगदान दिया है। श्रीरंगम मंदिर कावेरी और कोल्लीदम नदी के संगम पर एक द्वीप पर स्थित है।

‘दिव्य देशम’ के 108 तीर्थस्थलों में से पहला माना जाने वाले श्रीरंगम मंदिर को ‘बूलोगा वैकुंठम’ या ‘पृथ्वी पर वैकुंठम’ के नाम से भी जाना जाता है। वैंकुठम भगवान विष्णु का शाश्वत निवास है. प्रधानमंत्री शनिवार को चेन्नई से यहां पहुंचे और मंदिर जाते समय उन्होंने लोगों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया। प्रधानमंत्री इसके बाद रामेश्वर के अरुल्मिगु रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।

फोटो: सोशल मीडिया से साभार

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