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मथुरा: ब्रज-वृंदावन-बरसानामें वसंत पंचमी के त्योहार के साथ ही होली के रंग उड़ने भी शुरू हो जाएंगे। साथ ही इस वर्ष सर्दी का कहर कम होने के कारण रंगों का यह त्योहार कुछ ज्यादा ही मजेदार होगा। शुक्रवार को ब्रज के सभी मंदिरों के प्रांगणों एवं होलिका दहन वाले स्थानों पर होली का दांड़ा (लकड़ी का एक टुकड़ा, जिसके चारों ओर लकड़ियां एकत्र कर फाल्गुनी शुक्ला पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है) गाढ़ दिए जाने के साथ ही होली के आयोजन विधिवत प्रारंभ हो जाएंगे, जो अगले पचास दिन तक जारी रहेंगे। ब्रज में होलिका दहन से पूर्व आयोजित होने वाले रंग और रास के यह सभी कार्यक्रम ‘होरी’ कहलाते हैं। जबकि उसके बाद होने वाले कार्यक्रमों को ‘हुरंगा’ नाम दिया जाता है। इस दौरान ब्रज के सभी प्राचीन मंदिरों में परंपरानुसार गोस्वामी समाज के लोग सुबह-शाम ‘होरी गीतों’ से सजे कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

सेवायत पुजारी ठाकुरजी को नित्यप्रति गुलाल लगाने के बाद भक्तगणों पर भी प्रसाद स्वरूप गुलाल का छिड़काव करेंगे। वसंत पंचमी के अवसर पर ब्रज के सभी मंदिरों में ठाकुरजी के विशेष श्रृंगार, उत्सव एवं अनूठे दर्शनों का आयोजन किया जाता है। वृन्दावन के विश्व प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी के चरण दर्शन करने का मौका मिलता है जो वर्ष में सिर्फ एक ही दिन संभव हो पाते हैं। इस बार बरसाना की लट्ठमार होली 17 मार्च को होगी तो अगले दिन 18 मार्च को नंदगांव में। 19 मार्च को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भी लट्ठमार होली की पुनरावृत्ति कर प्रदर्शन किया जाएगा। इससे पूर्व 12 फरवरी को होली का दांड़ा गाड़ा जाएगा तो सात मार्च को महाशिवरात्रि के पर्व पर पहली चौपई बरसाना में होलीगीत गाते हुए भ्रमण करेगी। तत्पश्चात 16 मार्च को नंदगांव का पण्डा बरसाना के मंदिर में होली का आमंत्रण देने आएगा।

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