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(धर्मपाल धनखड़) राहुल गांधी बीजेपी के गले में फांस बनकर अटक गया है। जिसे ना उगलते बन रहा है ना निगलते। प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे से ठीक पहले, वहां पहुंच कर रोज सरकार और प्रधानमंत्री पर ताबड़तोड़ हमले बोल रहा है। अभी बीजेपी का थिंक टैंक राहुल के हमलों की काट ढूंढ ही रहा था कि ट्विटर के को-फाउंडर और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक यू-ट्यूब चैनल को इंटरव्यू देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया।

डोर्सी ने इंटरव्यू में दावा कि किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर को उसके कर्मचारियों पर छापा मारने और ऑफिस को बंद करने की धमकी दी थी।

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि सरकार ने कुछ लोगों के अकाउंट बंद करने का दबाव बनाया था। पूर्व सीईओ डोर्सी को भी अब ही मौका मिला था मुंह खोलने का। इतने दिनों तक क्यों चुप्पी साधे बैठा रहा? बोलना ही था, तो तब बोलता, जब किसान नेता, उनके ट्विटर अकाउंट बंद करने के आरोप सरकार पर लगा रहे थे। तब हिम्मत नहीं हुई! अब नौकरी खत्म होने के बाद बोलने का क्या औचित्य?

खैर भारत सरकार ने एक झटके में डोर्सी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही बीजेपी नेता आरोप लगा रहे हैं कि ये सब राहुल गांधी कहलवा रहे हैं। यानी डोर्सी की लगाम भी राहुल के हाथ में हैं। अब तो बीजेपी को एक तोहमद और लगा ही देनी चाहिए। वो ये कि वाशिंगटन में एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच की ओर से बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन भी राहुल गांधी के कहने पर ही किया जा रहा हैं। और यदि ये सब बीजेपी के आई टी सेल की ओर से डिक्लेयर्ड 'पप्पू' करवा रहा है, तो निश्चित मानिए अब आपने ही उसे पप्पू से स्टेट्समैन बनने पर मजबूर कर दिया है। अब विचार करने की बात ये है कि एक ठीक ठाक आदमी को पप्पू घोषित कर दिया। फिर मानहानि के एक टुईयां से मामले में अदालत से अधिकतम सजा दिलवा दी। अब ये बताने की जरूरत नहीं कि फैसले के तत्काल बाद उक्त जज को ईनाम के तौर पर प्रमोट भी कर दिया था। ये दीगर बात है कि मामला कहीं अटक गया। कोर्ट के फैसले की आड़ में आपने राहुल की संसद सदस्यता खत्म कर दी। सरकारी घर भी खाली करवा लिया? फिर भी उससे चुप रहने की उम्मीद करते हो।

संसद में जब बोलता था तो बकौल राहुल आप माइक बंद कर देते थे। फिर वह सड़क पर बोलने लगा। सरकार ही नहीं, सीधे आर एस एस पर भी हमले बोलने लगा । सारे भाजपाई एक सुर में चहचहाने लगे कि संसद में बोलना चाहिए था, वहां तो बोला नहीं, अब सड़क पर बोल रहा है। लोगों को‌ सरकार के खिलाफ भड़काकर राजनीति कर रहा है। बंदे ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पद यात्रा करके करोड़ों रुपये खर्च करके बनाई गयी छवि ही धो डाली। उस पर भी तीर कहे या तुक्का, बीजेपी से कर्नाटक का ताज ही छीन लिया। भाजपा का गेटवे आफ साऊथ बंद कर दिया।

दक्षिण में पैर टिकाने भर को जमीन की चाह में तमिलनाडु के चोल राजाओं का राजदंड उर्फ धर्मदंड यानी सेंगोल नये संसद भवन में विधिवत स्थापित कर दिया गया। अंदर राजदंड स्थापित हो रहा था और बाहर दिल्ली पुलिस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर, देश का परचम लहराने वाली, महिला पहलवानों को राजदंड का स्वाद चखा रही थी। तमिलनाडु में पवित्र श्रीचरणों के पड़ने से पहले ईडी ने सफाई अभियान शुरू कर दिया है। ईडी ने स्टालिन सरकार के एक मंत्री सेंथिल बालाजी को भ्रष्टाचार के आरोप में धर लिया। अब तमाम विपक्षी नेता सरकार को कोस रहे हैं। विपक्षी दिग्गजों को साफ-साफ संकेत दे दिया है कि ज्यादा एकता के चक्कर में पड़ोगे, तो धर लिये जाओगे। ईडी, आई टी और सीबीआई को काम पर लगा दिया गया है। निकट भविष्य में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी नजरें इनायत होने की चर्चा है। 23 जून को पटना में विपक्षी एकता के लिए होने वाली बैठक से पहले एकाध विपक्षी सरदार को ईडी, आई टी या सीबीआई वाले धर लें तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।

लेकिन पप्पू से स्टेट्समैन बना राहुल गांधी विदेश में जाकर भी प्रधानमंत्री पर निशाने साध रहा है। इसके जवाब में समूचा मंत्रिमंडल राहुल को देशद्रोही करार दे रहा है। बीजेपी के कर्णधार कह रहे हैं कि राहुल खुद तो आरोप लगा ही रहा था। ये डोर्सी और मानवाधिकार संगठनों को भी उकसाकर देश की बदनामी करने में लगा दिया। असल दिक्कत तो ये है कि मोदी जी के अमरीका में डंका बजाने से पहले ही राहुल ने भद्द उड़वा दी है। सारी दुनिया को बता दिया कि हमारे देश में लोकतंत्र बंधक हो गया है। किसी को बोलने नहीं दिया जाता है। संसद में कोई बोलता है तो माइक बंद कर दिया जाता है। 'आजाद प्रेस' गुलाम बन गयी है। राहुल ने इतना सब रायता फैला दिया है। जिसे मोदी जी को डंका बजवाने से पहले साफ करवाना पड़ेगा।

इधर, कई विपक्षी नेताओं का ईलाज बाकायदा जारी है। जिसके यहां भी ईडी, आईटी और सीबीआई पहुंच गयी या तो वह श्रीचरणों में नतमस्तक हो गया, नहीं तो सीधे जेल पहुंचा दिया गया। अब सवाल ये उठने लगा है कि इस सारे बखेड़े की जड़ राहुल गांधी है। ईडी उससे पूछताछ कर चुकी है। क्यों नहीं उसे अंदर ठोक दिया जाता? राजनीतिक गलियारों में कुछ समय पहले तक कहा जाता था कि मोदी जी केवल केजरीवाल से भय खाते हैं। अब पूछा जाता है कि मोदी राहुल से भी डरने लगे हैं क्या? दबी जुबां में जवाब दिया जाता है कि अंदर दे दिया, तो कहीं सचमुच बड़ा नेता ना बन जाये! इसलिए बाहर ही ठीक है। सड़कों पर बोलता रहे, जो बोलना है। संसद के द्वार तो फिलहाल उसके लिए बंद है ही।

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