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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान आज दिल्ली कूच के लिए तैयार हैं। किसानों की केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार रात पांच घंटे से ज्यादा लंबी बैठक बेनतीजा रही। किसानों की मुख्य मांग फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य पर कोई समाधान नहीं हो सका।

ट्रकों की नो एंट्री, कंटीले तारों की बैरिकेडिंग, पुलिस की तैयारी

पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान आज दिल्ली कूच के लिए तैयार हैं। किसानों की केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार रात पांच घंटे से ज्यादा लंबी बैठक बेनतीजा रही। किसानों की मुख्य मांग फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य पर कोई समाधान नहीं हो सका। किसानों ने बैठक के बाद कहा कि बातचीत बेनतीजा रही, हम सुबह 10 बजे दिल्ली की तरफ मार्च शुरू करेंगे। साथ ही किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार के मन में खोट है। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों की तरफ से ‘दिल्ली चलो‘ मार्च का आह्वान किया गया है।

चंडीगढ़ में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने सेक्टर 26 में महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में किसान नेताओं के साथ बैठक की। रात 11 बजे के बाद किसानों और सरकार के बीच बिजली कानून 2020 को रद्द करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति बनी।

लेकिन किसानों की तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं हो सकी, जिनमें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए एक कानून बनाना, किसान लोन माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना शामिल है।

बैठक खत्म होने के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि ‘दिल्ली चलो‘ मार्च जारी है। किसानों के एक प्रतिनिधि ने मीडिया से कहा, ‘दो साल पहले, सरकार ने हमारी आधी मांगों को लिखित रूप में पूरा करने का वादा किया था, हम इस मुद्दे को शांति से हल करना चाहते थे, लेकिन सरकार ईमानदार नहीं है। वह सिर्फ समय बर्बाद करना चाहते हैं।‘

दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाया है। सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने सार्वजनिक बैठकों और शहर में प्रवेश करने वाले ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है। प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली में 12 मार्च तक सभी बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध रहेगा।

हरियाणा में अधिकारियों ने अंबाला, जिंद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सिरसा समेत कई स्थानों पर पंजाब के साथ राज्य के बहुत से बॉर्डर्स को मजबूत कर दिया है। सड़कों पर बैरिकेडिंग करने और प्रदर्शनकारियों को राज्य में घुसने से रोकने के लिए कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों का इस्तेमाल किया गया है।

हरियाणा ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान के खिलाफ 2021 कानून भी लागू किया है, जिसके तहत अपराधियों को भुगतान करना होगा। राज्य गृह विभाग ने सिविल और पुलिस अधिकारियों को नियम का पालन करने का निर्देश दिया है।

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने ‘दिल्ली चलो‘ मार्च का एलान किया था। 2020.21 में साल भर चले आंदोलन के बाद सरकार के नरम रवैया अपनाने और कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद आंदोलन शांत हो गया था।

किसान आंदोलन में 250 से अधिक किसान यूनियन शामिल हैं। 150 यूनियन वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दिसंबर में विरोध प्रदर्शन का आहवान किया था। इन किसानों का उद्देश्य सरकार को दो साल पहले किए गए वादों की याद दिलाना है। 

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