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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: पिछले साल नवंबर में बड़े मूल्य के नोट बंद किए जाने के बाद से देश मे अरबपतियों की संख्या में 11 की कमी आई है। हालांकि, इस दौरान देश में अरबपतियों की कुल संपदा में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। मुकेश अंबानी 26 अरब डालर की संपदा के साथ सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं। आज जारी एक अध्ययन में यह आंकड़ा सामने आया है। हुरन ग्लोबल रिच लिस्ट इंडिया के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 132 अरबपति हैं, जिनकी कुल संपदा एक अरब डालर या अधिक है। कुल मिलाकर भारत में अरबपतियों की कुल संपत्ति 392 अरब डॉलर आंकी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद हालांकि देश में अरबपतियों की संख्या में कमी आई है लेकिन उनकी कुल संपत्ति पिछले साल की तुलना में 16 प्रतिशत बढ़ी है। शीर्ष दस सबसे अमीर लोगों की सूची में अंबानी के बाद 14 अरब डालर की संपदा के साथ एसपी हिंदुजा और परिवार दूसरे स्थान पर है। 14 अरब डालर की संपत्ति के साथ दिलीप सांघवी तीसरे स्थान पर हैं।

नई दिल्ली: आगामी एक अप्रैल से बैंक खातों में न्यूनतम राशि न रखने पर आपको जुर्माना नहीं देना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि सरकार ने देश के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से आगामी 1 अप्रैल से न्यूनतम बैलेंस न रखने वाले ग्राहकों पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने निजी और सरकारी बैंकों से एटीएम से तय सीमा से अधिक की निकासी पर लगने वाले शुल्क पर भी दोबारा विचार करने के लिए कहा है। एसबीआई ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि वह पांच साल के अंतराल के बाद फिर से खाते में न्यूनतम राशि नहीं होने पर जुर्माना वसूलेगा। यह जुर्माना एक अप्रैल से लागू होगा. इसके अलावा बैंक ने एटीएम सहित अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने महीने में तीन बार बचत खाताधारकों को बिना शुल्क के नकद धन जमा कराने की अनुमति दी है। इसके बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपये का शुल्क और सेवाकर ग्राहकों को देना होगा। चालू खातों के मामले में यह शुल्क अधिकतम 20,000 रुपये भी हो सकता है। एसबीआई के संशोधित शुल्कों की सूची के अनुसार खातों में मासिक औसत बकाया (एमएबी) रखने में नाकाम रहने पर 100 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और इस पर सेवाकर भी देय होगा। शहरी क्षेत्र के खाताधारकों के खाते में यदि न्यूनतम राशि 5,000 रुपये का 75 प्रतिशत होगी तो 100 रुपये का शुल्क और सेवाकर जुर्माना स्वरूप देना होगा।

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार मार्च महीने के आखिरी तक अपने 50 लाख कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनभागियों के लिए दो से 4 फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। महंगाई भत्ता और महंगाई राहत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनकी आय पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है। श्रमिक यूनियनें हालांकि इस प्रस्तावित वद्धि से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे मूल्यवद्धि के वास्तविक असर की भरपाई करने में मदद नहीं मिलेगी। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंपलॉइज के अध्यक्ष के. के. एन कुटटी ने कहा, केंद्र सरकार के सहमति वाले फार्मूला के तहत महंगाई भत्ता वृद्धि दो प्रतिशत होगी। यह एक जनवरी, 2017 से प्रभावी होगी। हालांकि, कुटटी ने इतनी मामूली वृद्धि पर निराशा जताते हुए कहा कि महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए बेंचमार्क माना जाने वाले औद्योगिक श्रमिकों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वास्तविकता से दूर है। उन्होंने कहा कि जिंस कीमतों में कितनी बढ़ोतरी हुई है उसको लेकर श्रम ब्यूरो और कृषि मंत्रालय में मतभेद हैं। सहमति वाले फॉर्मूले के तहत केंद्र महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी खुदरा मुद्रास्फीति के 12 माह के औसत के आधार पर करता है। सरकार दशमलव बिंदु के बाद मूल्यवद्धि पर विचार नहीं करता।

नई दिल्ली: जीएसटी परिषद ने शनिवार को छोटे ढाबों और रेस्तरां पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगाने का फैसला किया और प्रस्तावित नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लिए दो महत्वपूर्ण सहायक विधेयकों के मसौदे को मंजूरी दी। सरकार ने एक जुलाई से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। राजधानी में हुई अधिकार संपन्न जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आई-जीएसटी) के मसौदे को मंजूरी दी गयी। परिषद की अगली बैठक 16 मार्च को होगी जिसमें राज्य जीएसटी तथा केंद्र शासित जीएसटी (यूटी-जीएसटी) संबंधी विधेयकों के मसौदों को अंतिम रूप दिया जाना है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सी-जीएसटी और आई-जीएसटी संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में मंजूरी के लिए रखे जाएंगे। दूसरा चरण गुरुवार 9 मार्च से शुरू हो रहा है। सी-जीएसटी केंद्र को उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के जीएसटी में समाहित होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी लगाने का अधिकार देगा। वहीं आई-जीएसटी अंतर-राज्यीय बिक्री पर लागू होगा। राज्य जीएसटी विधेयक को प्रत्येक राज्य की विधानसभा में पारित कराना होगा। वहीं यूटी-जीएसटी मंजूरी के लिये संसद में रखा जाएगा।

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