ताज़ा खबरें
'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा है कि रिलायंस जियो की नई मूल्य नीति से उद्योग को नुकसान होता रहेगा. इसका प्रतिकूल असर बैंकों पर पड़ेगा जिन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में बड़ी मात्रा में कर्ज दिया हुआ है । सीओएआई ने कहा कि बाजार निचले मूल्य की ओर जा रहा है यह उपभोक्ताओं की दृष्टि से अच्छा कदम है, लेकिन सवाल यह है कि इस तरह का मूल्य दर नियमनों के अनुकूल है। इससे अदालतों तथा दूरसंचार न्यायाधिकरणों द्वारा निपटाया जाना चाहिए। सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने कहा, ‘उद्योग को इस मूल्य से नुकसान होता रहेगा. इसका बैंकों, सरकार (दूरसंचार कंपनियों द्वारा किए जाने वाले लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम भुगतान के रूप में) के साथ उपकरण विनिर्माताओं पर प्रतिकूल असर होगा। दूरसंचार उद्योग का विभिन्न वित्तीय संस्थानों और बैंकों का 4.60 लाख करोड़ रपये का बकाया है। रिलायंस जियो ने 31 मार्च को घोषणा की है कि उससे 7.2 करोड़ भुगतान करने वाले ग्राहक जुड़ गए हैं. कंपनी ने इस दायरे में और ग्राहकों को लाने के लिए इसकी समयसीमा एक पखवाड़ा बढ़ा दी है ।

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन के बाद भी शिक्षा, हेल्थकयर व तीर्थाटन पर सेवा कर नहीं लगेगा क्योंकि केंद्र सरकार इस नयी कर प्रणाली के पहले साल ही किस तरह का झटका नहीं देना चाहती। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि केंद्र सरकार जीएसटी के कार्यान्वयन के पहले साल नयी सेवाओं को जीएसटी के दायरे में लाने खिलाफ है इसलिए शिक्षा, हेल्थकेयर तथा तीर्थाटन सेवाकर दायरे से बाहर ही रहेंगे।उन्होंने कहा कि केंद्र ने जीएसटी परिषद की बैठक में उन सेवाओं को नहीं छूने को जोरदार ढंग से रखा है जो फिलहाल कर दायरे में नहीं आतीं। इसके साथ ही केंद्रीय परिवहन जैसे सेवाओं के लिए मौजूदा रियायती दर रखने पर जोर देगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षताल वाली जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। परिषद की अगली बैठक 18-19 मई को श्रीनगर में होगी जिसमें विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए दरों पर फैसला होगा। सरकार जीएसटी का कार्यान्वयन एक जुलाई से करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। अधिया ने कहा कि केंद्र चाहता है कि जिंसों व सेवाओं पर कर की मौजदूा दर भी नयी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में भी बनी रहे। सचिव ने कहा कि सरकार चाहेगी कि जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद किसी सेवा को शामिल करने या दर में बदलाव के बारे में फैसला दूसरे या तीसरे साल ही किया जाए और यह निर्णय राजस्व संग्रहण के आधार पर हो।

नई दिल्ली: विमान ईंधन (एटीएफ) के दाम में लगभग पांच प्रतिशत की कटौती की गई है जबकि सब्सिडी वाली रसोई गैस (एलपीजी) के दाम 5.57 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाए गए हैं। इसी तरह बिना सब्सिडीवाली रसोई गैस (एलपीजी) के दाम में भी 14.50 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की गई है। तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय रख के मद्देनजर यह कदम उठाया है। विमान ईंधन या एटीएफ का दाम 5.1 प्रतिशत या 2,811.38 रुपये प्रति किलोलीटर घटाकर 51,428 रुपये प्रति किलोलीटर किया गया है। नये दाम एक अप्रैल से प्रभावी हो गए। इससे पहले एक मार्च व एक फरवरी को एटीएफ के दाम बढ़ाए गए थे। इसी तरह बिना सब्सिडी वाली एलपीजी के दाम 737.50 रुपये से घटाकर 723 रुपये प्रति सिलेंडर (14.2 KG) किए गए हैं। वहीं तेल कंपनियों ने सब्सिडी वाली रसोई गैस के दाम 5.57 रुपये बढ़ाकर 440.5 रुपये प्रति सिलेंडर (14.2 किलो) किए गए हैं।

 

मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि पर्याप्त मात्रा में पुनर्मुद्रण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अतिरिक्त 1.15 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोटों को छापने की जरूरत है। एसबीआई ने कहा कि 24 मार्च तक 13.12 लाख करोड़ रुपये चलन में थे। एसबीआई के आर्थिक शोध विभाग के मुख्य आर्थिक सलाहकार कांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा, "हमारा मानना है कि आरबीआई को अतिरिक्त 1.15 लाख करोड़ रुपये के नोट छापने चाहिए और औसत गति से नोटों की छपाई की जाए, तो प्रक्रिया अप्रैल के पहले पखवाड़े में पूरी हो जाएगी।" चार नवंबर, 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी से पहले 17.97 लाख करोड़ रुपये चलन में थे। एसबीआई ने कहा कि पर्याप्त पुनर्मुद्रण के लिए कुल 14.27 लाख करोड़ रुपये बाजार में लाना काफी है। घोष ने कहा, "नोटबंदी के बाद पुनर्मुद्रण के लिए प्रिंटिंग प्रेस को नोटों की छपाई दिन-रात करनी पड़ रही है, ताकि पहले की अवस्था प्राप्त की जा सके।" उन्होंने यह भी कहा कि उनका मानना है कि आरबीआई को उतने मूल्य के नोटों को छापने की जरूरत नहीं है, जितने नोटबंदी के दौरान रद्द किए गए थे। घोष ने कहा, "ऐसा इसलिए, क्योंकि नोटबंदी से पहले बाजार में अतिरिक्त मात्रा में नकदी चलन में थी। इसके अलावा, डिजिटल लेनदेन पर सरकार के जोर से काफी आबादी का झुकाव नकदी के कम इस्तेमाल की ओर हुआ है।"

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख