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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

तोक्यो: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक जुलाई से लागू होना तय है और इससे वस्तुओं के दाम में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं होगी, यद्यपि कुछ सेवाओं की लागत में मामूली वृद्धि हो सकती है। भारत की आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा कर सुधार बताते हुए जेटली ने कहा कि जीएसटी से राज्य और केंद्र के स्तर पर लगने वाले करों के स्थान पर एक राष्ट्रीय बिक्री कर लगेगा जो देश में एकल बाजार का निर्माण करेगा और कारोबारियों के लिए उसकी पहुंच आसान बनाएगा। यहां सीआईआई-कोटक निवेशक गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि उनकी अध्यक्षता और हर राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली जीएसटी परिषद अगले कुछ दिनों में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए कर की दर को अंतिम स्वरूप प्रदान कर देगी और देश एक जुलाई से अप्रत्यक्ष करों को आसान बनाने के सही रास्ते पर है।

योकोहामा (जापान): वित्त मंत्री अरण जेटली ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से विकासशील देशों के विचारों को प्राथमिकता देने को कहा है। वित्त मंत्री ने यहां एडीबी के अध्यक्ष ताकेहिको नाकाओ के साथ बैठक में यह बात कही। उन्होंने जापान के वित्त मंत्री तारो असो के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। जापान के वित्त मंत्री के साथ बैठक में जेटली ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल उल्लेख करते हुए जापानी कंपनियों को भारत में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए रोलिंग स्टॉक के विनिर्माण को सुविधाएं स्थापित करने को आमंत्रित किया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने भारत और जापान के बीच बढ़ते तालमेल का जिक्र करते हुए दोनों देशों के द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को और विस्तार देने की प्रतिबद्धता जताई। नाकाओ के साथ बैठक में जेटली ने भारत-एडीबी के बीच द्विपक्षीय संपर्कों पर चर्चा की। जेटली ने इस बात पर संतोष जताया कि आज भारत एडीबी के सबसे बड़े ग्राहकों में हैं। उन्होंने एडीबी के अध्यक्ष से यह सुनिश्चित करने को कहा चूंकि एडीबी विकासशील देशों को सेवाएं प्रदान करता है, ऐसे में बैंक को विकासशील देशों के विचारों को प्राथमिकता देनी चाहिए। जेटली एशियाई विकास बैंक के गवर्नर बोर्ड की बैठक लेने के लिए तीन की आधिकारिक जापान यात्रा पर हैं। इसके अलावा वह कई अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।

नई दिल्ली: बाबा रामदेव की अगुवाई वाली रोजमर्रा के इस्तेमाल के उत्पाद का कारोबार करने वाली पतंजलि ने चालू वित्त वर्ष में अपनी बिक्री दो गुना कर 20,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। पातंजलि देशभर में वितरण नेटवर्क में वितरकों की संख्या दोगुना कर 12000 करने की भी योजना बनायी है। इसके अलावा कंपनी बाजार में अपनी उपस्थिति और मजबूत करना तथा ज्यादातर उत्पाद श्रेणियों में अगुवाई करना चाह रही है। हरिद्वार की इस कंपनी ने 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 10,561 करोड़ रुपये का कारोबार किया। योगगुरु रामदेव ने गुरुवार (4 मई) को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम इस साल और दोगुनी रफ्तार से बढ़ेंगे, अगले साल पतंजलि ज्यादातर उत्पाद श्रेणियों में अग्रणी रहेगी। यह नंबर एक होगी.’ कंपनी नोएडा, नागपुर और इंदौर समेत कई स्थानों पर बड़ी उत्पादन इकाइयां लगा रही है, जिससे उसकी उत्पादन क्षमता वर्तमान वर्तमान 35,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये की हो जाएगी। योगगुरु ने कहा, ‘हमारी नोएडा इकाई की उत्पादन क्षमता 20,000 करोड़ रुपये की, नागपुर की 15,000-20000 करोड़ रुपये की तथा इंदौर की 5000 करोड़ रुपये की होगी।’ कंपनी देशभर में अधिकाधिक ग्राहकों तक पहुंचने के लिए अपना वितरण नेटवर्क भी मजबूत बना रहा है। रामदेव ने कहा, ‘हम अपने वितरक नेटवर्क को 6000 से बढ़ा कर 12000 करेंगे।’

वॉशिंगटन: भारत में काम कर चुके एक जाने माने विदेशी पत्रकार ने कहा है कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था या देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की लड़ाई में मदद मिलने की उम्मीद नहीं है, लेकिन यह कदम दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘कड़े व निर्णायक’ कदम उठाने को तैयार हैं। पत्रकार एडम रॉबर्ट्स ने बुधवार (3 मई) को यहां एक कार्य्रकम में यह बात कही। रॉबर्ट्स इकनोमिस्ट के दक्षिण पूर्व एशिया संवाददाता के रूप में छह साल भारत में रह चुके हैं। उन्होंने आधुानिक भारत पर एक किताब लिखी है। इस किताब के विमोचन कार्य्रकम में रॉबर्ट्स ने कहा,‘मुझे नहीं लगता कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। लेकिन इस (नोटबंदी) ने दिखा दिया कि मोदी साहसी हैं और वे साहसी फैसले कर सकते हैं।’ एक सवाल के जवाब में रॉबर्ट्स ने इस सोच को चुनौती दी कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। उधर,संयुक्त राष्ट्र की एक रपट के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 7.1 प्रतिशत तथा अगले वर्ष यानी 2018 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (इस्केप) की सोमवार (1 मई) को जारी ‘एशिया प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक व सामाजिक सर्वे 2017’ में यह अनुमान लगाया गया है।

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