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वाशिंगटन: अमेरिकी सदन ने गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना ‘ओबामाकेयर’ को निरस्त कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसकी जगह जिस नए हेल्थ केयर (रिपब्लिकन स्वास्थ्य सेवा) बिल को लाना चाहते थे वह प्रतिनिधि सभा में पारित हो गया। अमेरिकन हेल्थ केयर एक्ट बिल के लिए रिपब्लिकन पार्टी के अंदर पर्याप्त समर्थन जुटाने के बाद इसे सदन में पारित करा लिया गया। हालांकि, डेमोक्रेट सदस्यों के अलावा मरीजों, डॉक्टरों और अस्पतालों के कई समूहों ने इस बिल का विरोध किया था। खुद रिपब्लिकन पार्टी में इसको लेकर काफी मतभेद थे। रिपब्लिकन को इस बिल को पारित कराने के लिए 216 वोटों की जरूरत थी। हालांकि, उसे 217 वोट मिले, जिसके बाद यह पास हो गया। इस बिल के पक्ष में किसी भी डेमोक्रेट सदस्य ने वोट नहीं किया। जानकारों के अनुसार, अब इस बिल को अगले महीने सीनेट में पेश किया जाएगा। अमेरिका के निचले सदन में इस बिल के पास के होने के साथ ही अपने तीन महीने के कार्यकाल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पहली वैधानिक जीत मिली है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में ओबामाकेयर योजना को निरस्त करने को लेकर 217 वोट डाले गए, जबकि विपक्ष में 213 वोट पड़े। ओबामाकेयर की जगह रिपब्लिकन स्वास्थ्य सेवा विधेयक लाया गया है। इससे पहले, रिपब्लिकन नेता केविन मेक्कार्थी ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि उनकी पार्टी के पास नए विधेयक को पास कराने के लिए पर्याप्त वोट संख्या है।
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मोगादिशू: सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में सुरक्षा बलों ने एक मंत्री को आतंकवादी समझ उनके कार पर गोली चला दी जिससे उनकी मौत हो गई। मोगादिशू के मेयर के प्रवक्ता अब्दिफतेह उमर हेलेन ने बताया कि सार्वजनिक कार्य मंत्री और सांसद अब्बास अब्दुलाही शेख सिराजी की कार पर बुधवार को सुरक्षा बलों ने आतंकवादी समझकर गलती से गोली चला दी,जिससे उनकी मौत हो गयी। र्इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। पुलिस मेजर नुर हुसैन ने बताया कि गश्त कर रहे सुरक्षा बलों ने सड़क पर एक कार को रोका और कार को आतंकवादी घटना के लिये इस्तेमाल किये जाने के संदेह में गोलीबारी कर दी, जिससे कार में सवार मंत्री की मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि अलकायदा से संबद्ध अल शबाब आये दिन मोगादिशू में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता रहता है और अफ्रिकी संघ के शांति सेना को इस देश से भगाने की कोशिश में लगा रहता है। इस वजह से यहां सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी बिगड़ गई है और देश में अशांति का माहौल बना हुआ है।
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वाशिंगटन: ट्रंप प्रशासन ने हिंसक अपराधों के खिलाफ लड़ाई को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है । साथ ही अमेरिका में हिंदुओं तथा सिख समुदाय के लोगों के खिलाफ बढ़ते घृणा अपराधों के मामलों की जांच के लिए कार्रवाई बल का गठन किया है। सीनेट की न्यायिक समिति के समक्ष धार्मिक घृणा अपराधों के लगातार बढ़ते मामलों की सुनवाई के दौरान न्याय मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपनी गवाही के दौरान हिंदुओं तथा सिख समुदाय के लोगों के खिलाफ बढ़ते घृणा अपराधों का जिक्र किया। न्याय मंत्रालय के धार्मिक भेदभाव मानवाधिकार खंड के विशेष वकील एरिक ट्रीने ने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल ने घृणा अपराध के खिलाफ लड़ाई को अपनी प्राथमिकताओं में से एक बनाया है।’’ उन्होंने कहा कि हिंसक अपराध की पहली श्रेणी वह है जो कि वास्तविक अथवा कथित नस्ल, वर्ण, नागरिकता, लिंग पहचान , धार्मिक तथा अनेक मिलते जुलते कारणों पर आधारित होती है..इन्हें आम तौर पर घृणा अपराध के नाम से जाना जाता है।
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वाशिंगटन: हिलेरी क्लिंटन ने पिछले साल संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार के लिए एफबीआई के निदेशक जेम्स कोमी और रूसी हस्तक्षेप को जिम्मेदार ठहराया है। हिलेरी ने कहा कि इन्होंने मतदाताओं को ‘‘डरा दिया’’ और उन्हें एक संभावित जीत से वंचित कर दिया। राष्ट्रपति पद की पूर्व डेमोक्रेटिक उम्मीदवार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में डोनाल्ड ट्रंप के हाथों मिली हार की वह ‘‘निजी तौर पर जिम्मेदारी’’ लेती हैं। पिछले साल मिली भारी हार के बाद अपनी विस्तृत टिप्पणियों में हिलेरी ने हार के पीछे के कारणों में अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल और अपने ईमेलों की जांच से जुड़े कोमी के पत्र के जारी हो जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन कारकों की वजह से वह अपनी संभावित जीत से वंचित हो गईं। न्यूयार्क में वूमन फॉर वूमन इंटरनेशनल फोरम में सीएनएन को दिए साक्षात्कार में हिलेरी ने कहा, ‘‘यदि चुनाव 27 अक्तूबर को हुए होते तो मैं आपकी राष्ट्रपति होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनाव 28 अक्तूबर को हुआ और उस दौरान बहुत सी हास्यास्पद चीजें हो रही थीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह एक उत्कृष्ट प्रचार अभियान नहीं था। ऐसा कुछ होता ही नहीं है। लेकिन मैं जीतने वाली थी, तभी जिम कोमी के 28 अक्तूबर को आए पत्र और रूसी विकीलीक्स ने उन लोगों के दिमाग में डर पैदा कर दिया, जो मुझे वोट देना चाहते थे।
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