ताज़ा खबरें
'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

सेंट पीटर्सबर्ग: विश्व के नेताओं ने जहां पेरिस जलवायु समझौते से हटने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की कड़ी आलोचना की, वहीं रूस के राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने कहा कि वह इसका आकलन नहीं करेंगे। रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आर्थिक मंच में उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर पुतिन ने चुटीले लहजे में कहा, ''चिंता नहीं करें, खुश रहें।'' उन्होंने कहा कि जलवायु पर हुआ समझौता 2021 तक औपचारिक तौर पर प्रभावी नहीं होगा, जो देशों को वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी का मुकाबला करने के लिए रचनात्मक समाधान के साथ आने के लिए वर्षों का वक्त देता है। पुतिन ने कहा, ''पारिस्थितिकी तंत्र पर दवाब बढ़ रहा है और मानव के कृत्य के नतीजे के तौर पर और प्राकृतिक प्रक्रिया के नतीजे के तौर पर इन सवालों पर गहरा अध्ययन, शोध और विश्‍लेषण करने की जरूरत है। यह स्पष्ट है कि अपनी राजनीति, अपनी समग्र कार्रवाई रूपरेखा को मजबूत करने के दौरान हमें जिम्मेदार और असरदार होना चाहिए।'' पुतिन ने कहा कि रूस में बहुत ठंड है और बारिश हो रही है। उन्‍होंने मजाक में कहा कि भविष्य में वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी की जिम्मेदारी डोनाल्‍ड ट्रंप पर होगी।

लंदन: भारतीय मूल के समलैंगिक नेता लिओ वरदकर आयरलैंड के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वरदकर ने शुक्रवार को जीत दर्ज कर ली है। 38 साल के वरदकर आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री के साथ ही ऐसी शख्शियत हैं जो खुलेआम खुद को समलैंगिक कहते हैं। वह एंडा केनी की जगह लेंगे। लिओ के पिता मुंबई में डॉक्टर थे जो 1960 में यहां से आयरलैंड जाकर बस गए। उनका परिवार मूल रुप से गुजरात के वरद गांव का रहने वाला था। डब्लिन के मेंसन हाउस में हुई मतगणना में वरदकर ने 60 फीसदी वोट जीतकर अपने प्रतिद्वंद्वी को साइमन केनी को मात दी। दिन में हुए मतदान में 100 फीसदी वोटिंग हुई थी। आयरलैंड में प्रधानमंत्री का चुनाव पार्लियामेंट्री पार्टी, काउंसिलर और पार्टी मेंबर्स के वोटों के आधार पर होता है। जिसमें से पार्लियामेंट्री पार्टी के सदस्यों का वोट सबसे ज्यादा मायने रखता है। वरदकर ने साल 2015 में अपने 36वें जन्मदिन पर खुद को समलैंगिक होने के ऐलान किया। इसी साल आयरलैंड में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई थी। वरदकर के डॉक्टर पिता ने आयरलैंड की नर्स मीरियम से शादी की। वरदकर खुद भी पेशे से डॉक्टर हैं। वरदकर यूरोप के सबसे रूढ़िवादी देश माने जाने वाले आयरलैंड में उदारवाद का चेहरा बनकर उभरे हैं। वह समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाने और गर्भपात कानून को उदार बनाने के लिए अभियान चला चुके हैं।

सेंट पीटर्सबर्ग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पेरिस पर्यावरण समझौते से पीछे हटने के कुछ घंटों बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कार्बन उत्सर्जन में कमी और अगली पीढ़ी के लिए पृथ्वी को सुंदर और साफ बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी ने ट्रंप के पेरिस समझौते से हटने की फैसले के पक्ष या विपक्ष की बहस में नहीं पड़ते हुए कहा कि वह अगली पीढ़ी के भविष्य की ओर हैं और मेरा विचार है कि मनुष्य प्रकृति का शोषण नहीं कर सकता है। ट्रंप के कदम का समर्थन या विरोध करने की बहस में शामिल होने से इनकार करते हुए मोदी ने कहा कि वह भविष्य की पीढ़ी के साथ खड़े रहेंगे और उनका विचार है कि मानव जाति प्रकृति का दोहन नहीं कर सकता। सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के लिए जमा वैश्विक कारोबारियों को दिए अपने एक भाषण में उन्होंने वेदों का उद्धरण देते हुए कहा कि प्रकृति का दोहन एक अपराध है लेकिन मानव द्वारा प्रकृति से लाभ उठाना उसका अधिकार है । बाद में जब मंच संचालक ने पूछा कि वह जलवायु परिवर्तन पर बहस में किस ओर हैं और क्या वह ट्रंप के रुख से असहमति रखते हैं, इस पर मोदी कूटनीतिक रूप से तटस्थ बने रहें। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में एकत्र लोगों से कहा, ‘मैंने बड़े ही साधारण तरीके से ‘नया भारत’ के सपने को बयां किया है।

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पेरिस जलवायु परिवर्तन करार से अलग होने का ऐलान कर दिया है। ट्रंप ने कहा कि वो नए सिरे से एक नया समझौता करेंगे जिसमें अमरीकी हितों की रक्षा उनका मकसद होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वो एक ऐसा समझौता करना चाहेंगे जो अमरीका के औद्योगिक हितों की रक्षा करता हो और लोगों की नौकरियां बचाता हो। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप ने वादा किया था कि वह अमेरिका को पेरिस करार से अलग करेंगे। यह उनके प्रमुख चुनावी वादों में शामिल था। उन्होंने ट्वीट किया, मैं गुरुवार को तीन बजे दिन में पेरिस करार पर अपने फैसले की घोषणा करूंगा। व्हाइट हाउस रोज गार्डेन। इससे पहले अमेरिका के दो समाचार समूहों, एक्सिस और सीबीएस न्यूज ने खबर दी थी कि ट्रंप ने करार से अलग होने का फैसला कर लिया है। ट्रंप प्रशासन इस बारे में विश्व नेताओं को सूचित कर रहा है। साल 2015 में पेरिस करार पर 195 देशों ने सहमति जताई थी। सीरिया और निकारागुआ दो मात्र ऐसे देश हैं जिन्होंने इस करार पर हस्ताक्षर नहीं किया है। ट्रंप की घोषणा का जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई पर दूरगामी असर पड़ने वाला है। खासकर भारत एवं चीन जैसे देशों में इसका असर होगा। अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला देश है। अमेरिकी राष्ट्रपति अक्सर कहते हैं कि अमेरिका ने पेरिस में सही सौदा नहीं किया।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख