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नई दिल्ली: पाकिस्तान ने हाफिज सईद के संगठन तहरीक-ए-आजादी जम्मू और कश्मीर पर बैन लगा दिया है। यह कदम प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बाद उठाया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला ट्रंप की आतंकवाद विरोधी नीति से प्रभावित होकर लिया गया है। जमात-उद-दावा अब तहरीक-ए-आजादी जम्मू और कश्मीर के नाम से जाना जाता है और 2008 के मुंबई हमलों के पीछे इसी संगठन का हाथ था। बीते जनवरी में पाकिस्तान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए हाफिज सईद को नजर बंद कर दिया था और उसके संगठन जमात-उद-दावा पर निगरानी रखने के आदेश दिए थे। प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे से यह साफ हो गया है कि भारत और अमेरिका आतंकवाद को खत्म करने के लिए एकजुट हैं। खबरों की मानें तो ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान में चल रहे 'टेरर कैंम्प्स' पर ड्रोन हमले करने पर विचार कर रहा है जो निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए एक खतरे की घंटी है। यह फैसला प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से पहले ही ले लिया गया था। गौरतलब है कि इससे पहले भी पाकिस्तान ने शक के घेरे में आने वाले करीब 5,000 लड़ाकों के अकाउंट फ्रीज कर दिए थे।

इस्लामाबाद: कश्मीर में संघर्ष विराम के उल्लंघनों को लेकर भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पड़ोसी देश के साथ अपने रिश्तों पर चर्चा करने के लिये विदेश नीति के शीर्ष अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। रेडियो पाकिस्तान की खबर के अनुसार, शरीफ को विदेश मामलों से जुड़े अहम मुद्दों के बारे में बताया गया, जिनमें भारत और अफगानिस्तान के साथ संबंधों के मुद्दे भी शामिल हैं। इस बैठक में विदेश मंत्री इसहाक डार और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने शिरकत की। बैठक का आयोजन ऐसे समय पर किया गया, जब कश्मीर में संघर्षविराम का कई बार उल्लंघन हो जाने के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है। दोनों ही पक्ष इन उल्लंघनों के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं। इस बैठक से कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित हिज्बुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन संघर्षविराम का उल्लंघन किया और जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा पर मोर्टार बमों और स्वचालित हथियारों से भारतीय चौकियों तथा नागरिक बहुल इलाकों को निशाना बनाया।

बीजिंग: चीन ने गुरुवार को भारत से कहा कि सीमा मुद्दे को हल करने के लिए 'सार्थक बातचीत' की पूर्व शर्त के रूप में वह सिक्किम सेक्टर के डोंगलोंग क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस बुला ले। इसके साथ ही उसने 1962 के युद्ध का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सेना को इतिहास से सीख लेनी चाहिए। सिक्किम गतिरोध को लेकर चीन के विदेश तथा रक्षा मंत्रालय ने भारत पर अपना निशाना साधा तथा आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने चीनी भूभाग में 'अवैध रूप से घुसपैठ' की। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूइन ने थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की इस टिप्पणी को 'पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना' बताते हुए खारिज कर दिया कि भारत ढाई मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है। रावत ने कहा था कि भारत आंतरिक खतरों के साथ साथ चीन, पाकिस्तान की ओर से पैदा सुरक्षा खतरों के लिए तैयार है। रावत की टिप्पणी पर रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी बयानबाजी पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमें उम्मीद है कि भारतीय सेना के वह व्यक्ति इतिहास से सीख लेंगे और युद्ध के बारे में ऐसी बयानबाजी बंद कर देंगे।

बीजिंग: सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को लेकर पैदा हुए गतिरोध के बीच चीन ने भारत को चेताया कि नाथूला दर्रे से कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं की यात्रा का भविष्य नई दिल्ली के अपनी गलतियों को सुधारने पर निर्भर करता है । बीजिंग ने सिक्किम सेक्टर में सड़क के निर्माण को वैध करार दिया और इस बात पर जोर दिया कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने यहां मीडिया से कहा ,दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। इसको लेकर कोई विवाद नहीं है। दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान्य गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि सभी जरूरी माध्यमों से भारतीय सैनिकों के पीछे हटवाना चाहिए तथा नियमों के बारे में सिखाया जाना चाहिए।

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