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रोम: रोम में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन रविवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने पर चर्चा हुई। सदस्य देशों के नेताओं ने अपने-अपने विचार रखें। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि रूस और चीन जी-20 शिखर सम्मेलन में "जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्ध नहीं दिखे।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए रूस और चीन नहीं दिखे प्रतिबद्ध

रोम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "लोगों को इसमें निराश होने का एक कारण है,क्योंकि सभी सदस्य देशों ने इसमें सक्रियता दिखाई, लेकिन रूस, चीन इस विषय पर मौन दिखे, जो बाइडन ने कहा कि कई प्रस्ताव पारित किए गए हैं। अमेरिका इसको लेकर चिंतित है।" 

इस सम्मेलन में जी-20 समूह के नेताओं के बीच ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने की सहमति बनी। सदस्य देशों के नेताओं के बीच हुई इस बैठक में कुछ ठोस कार्रवाई पर भी चर्चा की गई। हालांकि, बैठक में शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए साल किसी तारीख की जानकारी नहीं दी गई।

रोम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रोम में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन को ‘फलदायी' करार दिया है। उन्होंने कहा कि विश्व नेताओं ने वैश्विक महत्व के अहम मुद्दों जैसे महामारी से लड़ाई, स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और नवोन्मेष पर विस्तृत चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘रोम में जी-20 फलदायी शिखर सम्मेलन के बाद ग्लासगो के लिए रवाना हो रहा हूं। सम्मेलन के दौरान हम वैश्विक महत्व के मुद्दों जैसे महामारी के खिलाफ लड़ाई, स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना एवं आगे के नवोन्मेष पर विस्तृत चर्चा कर सके।'' जी-20 में भारत के शेरपा पीयूष गोयल ने रविवार को बताया कि जी-20 नेता इस बात पर सहमत हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड-19 टीके को आपात मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने से मजबूत होगा।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर रविवार को रोम में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी, कारोबार, अर्थव्यवस्था और लोगों से लोगों के बीच संपर्क के मुद्दे पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

नई दिल्ली: भारत ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठा चुके विकसित देशों से अपील की है कि वह अब इसका उत्सर्जन कम कर दें ताकि विकासशील देश भी कार्बन ऊर्जा का लाभ ले सकें। भारत के प्रतिनिधि पीयूष गोयल ने कहा कि स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में देश विकासशील देशों की आवाज उठाने का काम करेंगे, क्योंकि आगामी पीढ़ी के लिए ग्रह को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि जिन विकसित राष्ट्रों ने ऊर्जा का भरपूर लाभ उठाया है, अब उन्हें तेजी से इसके उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता है, ताकि विकासशील देश भी विकसित होने के लिए कार्बन ऊर्जा का उपयोग कर सकें। वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त तकनीक नहीं है। इसलिए कार्बन ऊर्जा के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाने से पहले हमें तकनीक और नए संसाधनों पर अधिक काम करने की जरूरत है।

गोयल ने कहा कि भारत ने विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए जोर दिया है।

रोम: कोरोना महामारी के बाद शनिवार को पहली बार दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों के नेता शिखर वार्ता के लिए आमने-सामने बैठे। रोम में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन के एजेंडे में कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, कोरोना महामारी, आर्थिक सुधार और वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट टैक्स प्रमुख हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना महामारी और इससे निपटने में भारत के प्रयासों का जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने सम्मेलन में वन अर्थ वन हेल्थ का मंत्र भी दिया। 

पीएम मोदी ने उठाया कोरोना और स्वास्थ्य का मुद्दा 
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "जी-20 में आज की कार्यवाही व्यापक और उत्पादक थी। 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' के दृष्टिकोण पर मैंने कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत के योगदान, स्वास्थ्य सेवा में नवाचार को आगे बढ़ाना, लचीला वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला।

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