गुवाहाटी: असम विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जिसकी वजह से राज्यपाल को बीच में ही अपना भाषण रोकना पड़ा। सोमवार को एक दिन के विशेष सत्र को राज्यपाल ने जैसे ही संबोधित करना शुरू किया, विपक्षी सदस्य खड़े हो गए और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और पिछले महीने इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच लोगों की मौत के विरोध में प्रदर्शन करने लगे। कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के सदस्यों ने हाथों में पोस्टर और तख्तियां पकड़ रखी थी और वे राज्यपाल के सामने आकर नारेबाजी कर रहे थे।
हंगामे की वजह से राज्यपाल की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी जिसके चलते कुछ मिनटों में ही उन्होंने अपना भाषण खत्म कर दिया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष हितेन गोस्वामी ने मुखी के भाषण को पढ़ा हुआ मान लेने की घोषणा की। मीडिया को उपलब्ध कराई गई भाषण की प्रति के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि असम के मूल लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखना और उनकी पहचान एवं विरासत को संरक्षण देना सरकार की पहली प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा कि सतरस (15वीं शताब्दी में स्थापित वैष्णव मठ) सहित सभी धार्मिक स्थलों से अवैध कब्जा हटाने के लिए असम भूमि एवं राजस्व नियमन कानून-1886 में संशोधन किया गया है।
हिमंत बोले, हिंदू समुदाय का व्यक्ति जिन्ना नहीं हो सकता
वहीं, विधानसभा में असम के मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सीएए पर कहा कि हमने असम समझौते का उल्लंघन नहीं किया, बल्कि अनसुलझे मुद्दों का समाधान किया है। विधानसभा में सीएए पर चर्चा के दौरान हिमंत विश्व शर्मा ने सदन की समिति से अनुरोध किया कि वह विस्तार से असम समझौते का अध्ययन करे और अनसुलझे मुद्दों को देखें। असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व सरमा ने विधानसभा में कहा कि हिंदू समुदाय का व्यक्ति जिन्ना नहीं हो सकता क्योंकि वह कभी किसी पर हमला नहीं करता और वह धर्मनिरपेक्ष होता है।
सरमा ने हिंदू बंगालियों को नागरिकता देने का भी समर्थन किया। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदुओं को नागरिकता देने का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि एक हिंदू जिन्ना नहीं हो सकता। किसी भी हिंदू राजा ने कोई मस्जिद या मंदिर ध्वस्त नहीं किया है। एक हिंदू हमेशा ही धर्मनिरपेक्ष होता है और किसी पर हमला नहीं करता। हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं।