नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को 31 अगस्त को प्रकाशित किया जाएगा। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि केंद्र कानून सहित सही-गलत नाम जोड़े जाने और नाम हटाए जाने को लेकर सुधारात्मक उपायों पर विचार कर सकता है। सोमवार को सोनोवाल ने सभी विकल्पों की ओर ध्यान दिलाया। जिसमें विधायी क्षेत्र भी शामिल है। जिसके जरिए एनआरसी में वास्तविक नागरिकों के नाम गलत तरीके से हटाने और विदेशियों के नाम गलत तरीके से शामिल करने से निपटा जा सकता है। हालांकि ऐसे सुधारात्मक उपाय का फैसला सुप्रीम कोर्ट की तय की गई समयसीमा के अंदर एनआरसी प्रकाशित होने के बाद लिया जाएगा।
जब उनसे पूछा गया कि गलत तरीके से नाम जोड़ने या हटाने को लेकर कोई कानूनी उठाए जाएंगो तो सोनोवाल ने कहा, 'एक बार 31 अगस्त को एनआरसी प्रकाशित हो जाए तो लोकतंत्र होने के नाते हमारे पास ऐसा करने का अधिकार है। एनआरसी प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा सकते हैं। यदि भविष्य में सुधारात्मक कदम की आवश्यकता पड़ती है तो हम उसके बारे में जरूर विचार करेंगे।'
सोमवार को गृह मंत्रालय में एनआरसी को लेकर बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह ने की। शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है जिसमें बांग्लादेश के पास वाले जिलों के 20 प्रतिशत एनआरसी डाटा और बाकी के जिलो के 10 प्रतिशत डाटा की जांच फिर से करने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि एनआरसी की सूची में भारतीय नागरिकों का नाम हटाकर उनकी जगह बांग्लादेशी नागरिकों के नाम जोड़े जा रहे हैं। एनआरसी ड्राफ्ट में कई बांग्लादेशी प्रवासी नजर आए थे।
31 अगस्त के बाद उठाए गए विधायी कदम को अध्यादेश के रास्ते से गुजरना पड़ेगा क्योंकि फिलहाल संसद सत्र नहीं चल रहा है। नई लोकसभा के पहले सत्र के दिनों को बढ़ाया गया था जिसके कारण फिलहाल मानसून सत्र नहीं चल रहा है और संसद सत्र अब नवंबर से शुरू होगा। एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर लगभग 80 लाख लोग (27 प्रतिशत दावे) पहले से ही पुनःसत्यापन के अंतर्गत हैं। न्यायालय दोबारा सत्यापन के पक्ष में नहीं है। सोनोवाल ने विश्वास व्यक्त किया कि 31 अगस्त को एनआरसी शांतिपूर्ण ढंग से होगा।