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अहमदाबाद: करीब एक दशक पहले भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी (आप) अब दिल्ली के साथ पंजाब में भी सत्ताधारी हो चुकी है। देश के दो राज्यों में सरकार बनाने के बाद अब पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल की नजरें अब जिन सूबों पर है उनमें गुजरात सबसे अहम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे बड़े गढ़ में पार्टी 'झाड़ू' चलाने की कोशिश में जुटी है।

इसके लिए आप ने दिल्ली और पंजाब में जिताऊ साबित हुए फॉर्मुले को ही आजमाने जा रही है। गुजरात में भी केजरीवाल मुफ्त बिजली का दांव चल चलने जा रहे हैं। हालांकि, वह इससे कितना करंट पैदा कर पाएंगे यह सवाल आने वाला वक्त ही बताएगा, क्योंकि हाल ही में उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों में यह दांव पूरी तरह बेअसर रहा है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले 'आप' ने बुधवार से गुजरात में मुफ्त बिजली की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की है।

आंदोलन के पहले चरण के तहत पार्टी नेताओं ने अलग-अलग जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और सरकार से मुफ्त बिजली देने की मांग की। पार्टी नेताओं ने अलग-अलग जिलों में प्रेस कॉन्फेंस करते हुए अपना प्लान पेश किया। पार्टी नेता हर रैली, सभा में जनता से वादा कर रहे हैं कि सत्ता में आने पर दिल्ली-पंजाब की तरह गुजरात में भी बिजली मुफ्त दी जाएगी।

बिजली के साथ मुफ्त वाले होंगे कई वादे

16-24 जून के बीच पार्टी राज्य के कोने-कोने में रैली, पद यात्रा, मशाल यात्रा का आयोजन किया जाएगा। संगठन में फेरबदल के बाद पार्टी का राज्य में यह पहला अभियान है। खुद को भाजपा के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बता रही पार्टी को उम्मीद है कि मुफ्त बिजली के सहारे वह राज्य में अपने लिए करंट पैदा कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी गुजरात में मुफ्त बिजली के साथ ही मुफ्त पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त सफर के साथ ही उन्हें मासिक आर्थिक मदद जैसे वादे करने जा रही है।

फिलहाल आंतरिक कलह है चुनौती

विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी पार्टी के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर उपजे असंतोष को दूर करना है। हाल ही में संगठन के 850 पदों पर नए पदाधिकारियों के एलान के बाद से पार्टी के कई संस्थापक सदस्य असंतुष्ट हैं। कई नेताओं ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। ऐसे में पार्टी को जल्द से जल्द नाराज नेताओं को मनाना होगा।

 

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