अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेने रविवार को सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किया। इस बांध के उद्घाटन के बाद एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि इस परियोजना से सिर्फ गुजरात नहीं बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान के किसानों के भाग्य भी बदलेंगे। उन्होंने कहा कि यह किसी पार्टी की परियोजना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध की राह में कई अड़चनें आईं, लेकिन हम इस बात को लेकर दृढ़संकल्प थे कि परियोजना चालू रहेगी। पीएम मोदी ने कहा कि वर्ल्ड बैंक ने इसके लिए पैसे देने से मना कर दिया था, लेकिन हम नहीं रुके।
पीएम मोदी ने कहा कि इस परियोजना के खिलाफ गलत जानकारियों को आधार बनाकर मुहिम छेड़ी गई थी, जबकि यह परियोजना इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद सरदार साहब (सरदार वल्लभ भाई पटेल) को उतना श्रेय नहीं मिला, जितने के वह हकदार थे, भले ही कारण कुछ भी रहे हों। पीएम मोदी ने कहा, आज हम दो महापुरुषों को खास तौर पर याद कर रहे हैं, जिन्होंने मंत्री के रूप में सिंचाई और जलस्रोतों को बहुत महत्व दिया।
पीएम मोदी ने सरदार सरोवर बांध के निर्माण के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से किसानों का जीवन बदलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि न जानें डाभोई से कितनी यादें जुड़ी हैं, लेकिन इससे पहले यहां ऐसा विशाल जनसागर पहले नहीं देखा। भारत में सदियों से लोग पसीना बहाते हैं, श्रम करते हैं, निर्माण का कार्य करते हैं, टेक्निशियन हो, मिस्त्री हो, चुना-मिट्टी का काम करते हैं, भारत में सबको विश्वकर्मा के रूप में देखा जाता है।
इससे अच्छा संयोग नहीं हो सकता की जिन लोगों ने विश्वकर्मा के रूप में मेहनत कर इस सरदार सरोवर बांध को मूर्त रूप देकर मां भारती को यह तोहफा दिया है। जिन लोगों ने मुझे जन्मदिन की बधाई दी है, उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूं। साथ ही लोगों को आश्वास्त करता हूं, जीऊंगा तो आपके सपने के लिए, मेहनत करुंगा तो आपके सपनों को पूरा करने के लिए।'
साबरमती और महापुरुषों के आशीर्वाद से आजादी के 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाएंगे। सरदार पटेल की आत्मा जहां कहीं होगी, वह इस सरदार सरोवर बांध को देखकर हम पर आशीर्वाद बरसा रही होगी। हममे से कई लोगों के जन्म से पहले सरदार पटेल ने सरदार सरोवर बांध का सपना देखा था। मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि अगर दो महापुरुष कुछ साल और जीवित रहते तो यह सरदार सरोवर 60-70 के दशक में बनकर तैयार हो जाता। एक सरदार पटेल ने इसकी परिकल्पना की थी और दूसरे बाबा साहब अंबेडकर ने भारत में जलक्रांति के लिए मंत्रिपरिषद के अपने अल्पकाल में ही कई योजना शुरू की थी।
अगर ये दोनों महापुरुष कुछ साल ज्यादा जीवित होते तो हमें उनकी सेवा का लाभ कुछ साल और मिलता होता। बाबा साहेब अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल कुछ साल और जीवित होते तो सूखा और बाढ़ की समस्या आज इतनी बड़ी नहीं होती। मैं इन दोनों महापुरुषों को याद करते हुए सरदार सरोवर बांध को देशवासियों को समर्पित करता हूं।
सरदार सरोवर बांध के निर्माण में दुनिया की कई ताकतों ने रुकावटें पैदा कीं. पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के नाम पर होने वाले विरोध के बाद विश्व बैंक ने पैसे देने से मना कर दिया थापीएम मोदी ने कहा कि भारतीय जब एक बार चुनौती को स्वीकार लेते हैं तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय जब एक बार चुनौती को स्वीकार लेते हैं तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं। हमने ठान लिया था कि हम भारतीयों के पसीने से इस बांध को बनाकर रहेंगे, जिसमें सफल हुए हैंपीएम मोदी ने कहा कि भारतीय जब एक बार चुनौती को स्वीकार लेते हैं तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं। पश्चिम के राज्यों को छोड़कर देखें तो भारत के ज्यादातर हिस्सों में पानी की कमी के चलते विकास बाधित हुआ है. लोग पानी के तलाश में दूसरी जगहों पर चले जाते हैं।