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अहमदाबाद: कांग्रेस के पूर्व नेता शंकरसिंह वाघेला ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी और वरिष्ठ मंत्रियों की मौजूदगी में आज (बुधवार) गुजरात विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया लेकिन इस बात पर जोर दिया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। वाघेला के विद्रोह से कांग्रेस को हिला दिया था। वाघेला क्षत्रिय जाति से आते हैं जिसका गुजरात के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव है। उन्होंने विधानसभाध्यक्ष रमनलाल वोरा को अपना इस्तीफा सौंपा। रूपानी, उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल और भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों भूपेंद्रसिंह चूड़ास्मा और प्रदीपसिंह जडेजा की मौजूदगी से उनके भाजपा में शामिल होने के बारे में नयी अटकलें शुरू हो गईं। यद्यपि 77 वर्षीय वाघेला का लगातार यही कहना था कि वह किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होंगे। वाघेला ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं कुछ समय से विधायक के तौर पर इस्तीफा देने की सोच रहा था। मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र कपड़वंज के लोगों के साथ एक बैठक की थी और उन्हें सूचित करने के बाद मैंने आज विधायकी से इस्तीफा दे दिया।’’ वाघेला ने 21 जुलाई को अपने 77वें जन्मदिन पर कांग्रेस से संबंध तोड़ लिये थे और विपक्ष के नेता के तौर पर भी इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने यद्यपि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री वाघेला दो दशक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। वाघेला के इस्तीफा देने के समय भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी से उनके इस वर्ष राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में वापसी के बारे में अटकलें शुरू हो गई। रूपानी ने कहा, ‘‘वाघेला के इस्तीफे के बाद गुजरात में कांग्रेस की रीढ़ टूट गई है। वह कल्पना से परे कमजोर हो गई है और भाजपा को इससे निश्चित रूप से लाभ होगा।’’ उन्होंने यद्यपि उनके भाजपा में वापसी करने की संभावना के बारे में कुछ नहीं बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेता एवं मंत्री इसलिए मौजूद थे क्योंकि एक वरिष्ठ विधायक अपना इस्तीफा दे रहे थे। यह पूछे जाने पर कि जब वह इस्तीफा देने जा रहे थे तो उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता क्यों आये, वाघेला ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने पूर्व में कहा है मैं किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा। मैं राजनीति से संन्यास नहीं लूंगा लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा।’’ वाघेला के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद पार्टी के छह विधायकों ने राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उनमें से तीन भाजपा में शामिल हो गए थे। वाघेला ने आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में असंतुष्ट विधायकों की मदद से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की हार सुनिश्चित करने का असफल प्रयास किया था। कांग्रेस ने हाल में वाघेला और उनके पुत्र महेंद्रसिंह सहित आठ पार्टी विधायकों को राज्यसभा चुनाव में क्रासवोटिंग के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इन असंतुष्ट विधायकों के बारे में आरोप था कि इन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस समर्थित विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के खिलाफ मतदान किया था। मीरा को केवल 49 कांग्रेसी विधायकों का वोट मिल सका जबकि विधानसभा में विधायकों की संख्या 57 थी। वाघेला के पुत्र महेंद्रसिंह सहित कांग्रेस के 10 विधायकों ने संकेत दिया था कि वे जल्द भाजपा में शामिल होंगे। वाघेला कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से इस बात को लेकर नाराज थे कि उसने उन्हें राज्य में दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया। पार्टी आलाकमान ने हालांकि उनकी मांग मानने से इनकार कर दिया।

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