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नई दिल्‍ली: बिहार में सियासी घमासान के बीच अब गुजरात में कांग्रेस को झटका लगा है। राज्‍यसभा चुनाव से पहले यहां कांग्रेस के तीन वरिष्‍ठ विधायकों ने गुरुवार को पार्टी से इस्‍तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसे शंकर सिंह वाघेला के उस प्‍लान का हिस्‍सा माना जा रहा है, जिसके तहत उन्‍होंने पिछले सप्‍ताह कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। तीनों विधायकों ने गांधीनगर में अपने इस्तीफे का पत्र विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा को सौंपा। वोरा ने कहा कि यह तीनों अब आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे, क्योंकि ये अब सदन के सदस्य नहीं हैं। इन विधायकों में विधानसभा में कांग्रेस के मुख्‍य सचेतक बलवंत सिंह राजपूत शामिल हैं। भाजपा ने उन्‍हें आगामी राज्‍यसभा चुनाव के लिए राज्‍य से अपना उम्‍मीदवार बनाया है। राजपूत, जोकि वघेला के करीबी रिश्‍तेदार हैं, को भाजपा ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को संसद के ऊपरी सदन में फिर से निर्वाचित होने से रोकने के प्रसास में मैदान में उतारा है। भाजपा उम्मीद जता रही है कि बलवंत सिंह को वाघेला समर्थक विधायकों का समर्थन भी मिल सकता है।

गुजरात के सिधपुर से विधायक बलवंत सिंह राजपूत ने कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखते हुए कहा, 'पार्टी के कुछ लोग शंकर सिंह वाघेला से मेरे पारिवारिक रिश्ते को लेकर पार्टी में मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को ऐसी गतिविधियां करने वाले लोगों पर लगाम लगानी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। ऐसे हालात में कांग्रेस पार्टी में मेरे लिए काम करना मुमकिन नहीं है, इस वजह से मैं कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देता हूं। विधायक बलवंत सिंह राजपूत, तेजश्रीबेन पटेल और प्रहलाद पटेल के इस्तीफे से 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 54 रह गई है। कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 47 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और ऐसे में कांग्रेस अगर अपने बाकी विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रहती है, तो अहमद को मुश्किल नहीं होगी। बता दें कि भाजपा ने गुजरात से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है।

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