रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 62 लाख रुपये गबन के दूसरे मामले (आरसी 68ए/96) में शुक्रवार को जदयू के पूर्व सांसद और इस घोटाले के समय बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश शर्मा को सशर्त जमानत दे दी। न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने इस मामले में जगदीश शर्मा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी जिससे अब वह जेल से जल्द ही बाहर आ जाएंगे। इससे पूर्व चारा घोटाले के तीन अन्य मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है।
पीठ ने निचली अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने की दस लाख रुपये में से 1.5 लाख रुपये जमा करने का भी उन्हें निर्देश दिया है। इसके अलावा उन्हें अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करना होगा और निचली अदालत में 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके भरने होंगे। उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद अब जगदीश शर्मा जेल से बाहर निकल सकेंगे। न्यायालय ने उन्हें इस आधार पर जमानत दी कि उन्होंने इस मामले में उन्हें सीबीआई अदालत द्वारा दी गयी पांच वर्ष कैद की सजा की आधी अवधि जेल में काट ली है।
शर्मा पर चारा घोटाले की जांच में व्यवधान डालने के आरोप हैं। उन्हें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत 49 अन्य आरोपियों के साथ इस मामले में 24 जनवरी, 2018 को पांच वर्ष सश्रम कारावास और दस लाख रुपये जुर्माने की सजा एसएस प्रसाद की विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाई थी। न्यायालय ने उन्हें चारा घोटाले में सजा की पांच वर्ष की अवधि की आधी अवधि जेल में काट लेने के कारण जमानत दी।
इससे पूर्व उन्हें चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से गबन के ही एक अन्य मामले में 30 सितंबर, 2013 को दोषी पाया गया था और तीन अक्तूबर को उसी वर्ष सजा सुनायी गयी थी। उन्हें उक्त मामले में सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। आज ही चारा घोटाले के दुमका मामले में चैदह वर्ष की सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव की जमानत अर्जी न्यायालय ने खारिज कर दी क्योंकि उन्होंने सजा की आधी अवधि अब तक जेल में नहीं काटी है।