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तेनकासी: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एके पलानीस्वामी ने शुक्रवार को एलान किया कि राज्य सरकार सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए 1500 मामलों में से हिंसा व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के मामले छोड़कर अन्य सभी केस वापस लेगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन व कोरोन गाइड लाइन उल्लंघन के मामले भी वापस लिए जाएंगे। ऐसे करीब 10 लाख मामले दर्ज किए गए थे। 

तेनकासी में आयोजित एक रैली में पलानीस्वामी ने कहा कि केंद्र ने नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को लोकसभा में पारित किया था। इसके बाद में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए इसे राज्य विधानसभाओं में पारित किया गया। इसके बाद कुछ संगठनों के सदस्यों ने तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए थे। प्रदर्शन के दौरान लगभग 1,500 मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने आगे कहा,  ‘मैं आपको सूचित करना चाहूंगा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज हुए 1500 मामलों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिस कर्मियों के काम में बाधा डालने और हिंसा के लिए पंजीकृत मामलों को छोड़कर अन्य सभी मामलों को वापस लिया जा रहा है।’ 

 

पलानीस्वामी ने स्पष्ट किया कि लॉकडाउन के दौरान ई-पास प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी करने के मामले भी वापस नहीं लिए जाएंगे। इनके अलावा लॉकडाउन उल्लंघन के सभी केस वापस लिए जाएंगे। 

आगामी अप्रैल में संभावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए पलानीस्वामी की यह घोषणा अहम मानी जा रही है। कड्यानैल्लूरमें एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन व कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के तमिलनाडु के विभिन्न थानों में करीब 10 लाख केस दर्ज किए गए थे। इसमें कोरोना वायरस को लेकर अफवाह फैलाने के मामले भी शामिल हैं। कुदनकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन के केस भी वापस लेने की मांग को लेकर उन्होंने कहा कि इससे संबंधित कई मामले पहले ही निरस्त किए जा चुके हैं। 

 

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