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चेन्नई: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के एक दोषी की क्षमा याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद राजीव गांधी की हत्या के मामले में सात दोषियों की रिहाई का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। 

उच्चतम न्यायालय द्वारा इनमें से एक की क्षमा याचिका दो वर्षों से अधिक समय से तमिलनाडु के राज्यपाल के पास लंबित होने के मुद्दे पर नाखुशी जताने के बाद द्रमुक ने मामले में सक्रियता बढ़ा दी है।

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित बुधवार से दिल्ली के दौरे पर हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अन्य से मुलाकात की है। द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने गुरुवार को पुरोहित से अपील की कि राज्य सरकार की अनुशंसा को स्वीकार करें और राजीव गांधी हत्या मामले में सभी सात दोषियों को रिहा करें।

 

मुख्यमंत्री ने स्टालिन की आलोचना की 

मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने मामले में स्टालिन की आलोचना की और उन्हें याद दिलाया कि दिवंगत एम. करुणानिधि के मातहत द्रमुक नीत सरकार ने इनकी दया याचिकाएं ‘खारिज’ कर दी थीं। उन्होंने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने सातों दोषियों की समय पूर्व रिहाई की रूपरेखा तय की और उनके नेतृत्व में अम्मा सरकार ने इसे आगे बढ़ाया था। वह नौ सितंबर, 2018 के कैबिनेट के प्रस्ताव का हवाला दे रहे थे।

राजभवन की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि पुरोहित ने बुधवार को दिल्ली में मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उन्होंने तमिलनाडु से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इसे राजीव गांधी मामले में दोषियों के मुद्दे से जोड़कर देखा जा रहा है। दिल्ली दौरे के दौरान पुरोहित ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की और राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

क्या है मामला ?

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को श्रीपेरूम्बुदुर में एक चुनावी रैली में धनु नाम की महिला ने आत्मघाती बम हमले में हत्या कर दी थी। इस मामले में सात लोगों को मौत की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में उसे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था। 

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक दोषी ए जी पेरारिवलन की क्षमा याचिका दो वर्षों से अधिक समय तक पुरोहित के पास लंबित होने पर नाखुशी जताई थी। उसी दिन द्रमुक और पीएमके ने राज्यपाल से आग्रह किया था कि उनकी रिहाई पर निर्णय करें। स्टालिन ने पत्र जारी कर दोषियों की सजा खत्म करने और उनकी जल्द रिहाई की मांग की।

 

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