चेन्नई: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद में महिलाओं को आरक्षण मुहैया कराने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि कोई भी समाज यदि महिलाओं का सम्मान नहीं करता तो वह स्वयं को सभ्य नहीं कह सकता। मुखर्जी ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जीडीपी की गणना करते हुए देश के विकास में महिलाओं के योगदान को ध्यान में नहीं लिया गया जो समाज का भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में हमारे समाज में एक विरोधाभास है जहां हम महिलाओं को शक्ति का स्रोत और मातृत्व का प्रतीक कहते हैं। हम महिलाओं की देवी के तौर पर पूजा करते हैं। हमारे मूल सभ्यतागत मूल्य एक महिला का सम्मान करने की बात करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यद्यपि दुर्भाग्य से हम वास्तव में परेशान हैं क्योंकि प्रत्येक दिन हमारे समक्ष महिलाओं से क्रूर व्यवहार की खबरें सामने आती हैं। कभी कभी हमें आश्चर्य होता है। आज हम एक सभ्य समाज कहलाते हैं। क्या किसी समाज को तब सभ्य कहा जा सकता है यदि वह महिलाओं का सम्मान नहीं करे?’ उन्होंने कहा, ‘सभ्यतागत मूल्यों का मूल उद्देश्य महिलाओं का सम्मान करना है लेकिन हमें वह प्राप्त करने के लिए अभी मीलों चलना है।’ राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि महिलाएं जो योगदान करती हैं वह अद्वितीय है लेकिन इसकी पहचान नहीं की जाती। उन्होंने ‘वूमेंस इंडियन एसोसिएशन’ के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘जब हम अपनी जीडीपी की गणना करते हैं हम विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हैं।
यद्यपि हम महिलाओं की ओर से किये गए योगदानों को ध्यान में नहीं लेते चाहे वे किसी भी क्षमता में काम करें।’उन्होंने कहा, ‘यह सही में समाज की ओर से भेदभावपूर्ण रवैया और गैर निष्पादन को दर्शाता है।’ उन्होंने कहा कि बराबर के अधिकारों के बावजूद लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 11.3 प्रतिशत है जबकि वैश्विक औसत 22.8 प्रतिशत है। मुखर्जी ने कहा कि उचित आरक्षण के बिना राजनीतिक दलों और संस्थाओं के स्वैच्छिक कदमों के आधार पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व को हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि आरक्षण संवैधानिक गारंटी और महिलाओं द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली सीटें निर्धारित करता है। उन्होंने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि शिक्षा का दायरा बढ़ा है। रोजगार के लिए अवसर का दायरा भी विस्तारित हुआ है। यद्यपि इसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करना होगा।’उन्होंने कहा कि महिलाओं की यह आकांक्षा है कि उनके लिए समाज में अवसर निर्मित होने चाहिए। ‘वूमेंस इंडियन एसोसिएशन’ महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहा है। राष्ट्रपति ने एसोसिएशन के संस्थापकों एनी बेसंट और मुत्थुलक्ष्मी रेड्डी को श्रद्धांजलि अर्पित की।