चैन्नई: तमिलनाडु में शक्ति परीक्षण के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में विपक्ष ने 'शक्ति' का ऐसा प्रदर्शन किया कि मर्यादाएं तार-तार हो गईं। गुप्त मतदान की मांग खारिज होने पर द्रमुक विधायकों ने स्पीकर ओ. धनपाल की शर्ट फाड़ दी। मेज, कुर्सियां और माइक तोड़ दिए। इस दौरान हाथापाई में विधानसभा का एक कर्मचारी घायल हो गया। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही पहले एक और फिर तीन बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। शशिकला धड़े के विधायकों को छोड़कर एकजुट हुए सभी विपक्षी सदस्यों ने गुप्त मतदान के जरिए फैसला करने की मांग की थी। स्पीकर ने इस मांग को खारिज कर दिया, जिस पर डीएमके और ओ पनीरसेल्वम गुट भड़क गए। द्रमुक विधायकों ने स्पीकर पी धनपाल का घेराव किया। धक्कामुक्की की। वेल में आकर कागज फाड़े और कुर्सियां फेंकी। मेज पर चढ़कर नारेबाजी की गई। एक विधायक तो स्पीकर की कुर्सी पर ही बैठ गया। दो बार कार्यवाही स्थगित करने के बाद भी हंगामा जारी रहने पर द्रमुक विधायकों को सदन से बाहर ले जाने का आदेश देना पड़ा। स्पीकर ने कहा कि द्रमुक विधायकों ने मेरी शर्ट फाड़ी। मुझे बेइज्जत किया। मैंने अपना काम कानून के मुताबिक किया। कमीज के फटे हुए हिस्से को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि वह इसे बर्दाश्त करने और आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। स्टालिन जब सदन से बाहर निकले तो उनकी शर्ट के बटन खुले हुए थे। उन्होंने दावा किया कि उनके साथ हाथापाई की गई। स्पीकर ने अपनी शर्ट खुद फाड़ ली और उनके विधायकों पर आरोप मढ़ दिया।
स्टालिन ने बताया कि पुलिस ने तलाशी के नाम पर उनकी कार को रोका था। इस पर धनपाल ने कहा कि वह इसकी जांच के आदेश देंगे। विश्वास मत के दौरान सदन के सभी दरवाजे बंद करवा दिए गए। सदन की कार्यवाही का लाइव टेलिकास्ट भी नहीं किया गया। यहां तक कि सदन में मौजूद पत्रकार भी कार्यवाही के अपडेट्स न देख पाए और न सुन पाए। विधायकों ने स्पीकर ओ. धनपाल से धक्का-मुक्की करते हुए उनकी शर्ट तक फाड़ दी। दो-दो विधायक उनकी कुर्सी पर भी जा बैठे। स्पीकर को द्रमुक विधायकों को बाहर करने के लिए विधानसभा परिसर में पुलिस बुलानी पड़ी। तमिलनाडु विधानसभा में शनिवार को वही हालात देखने को मिले जो 28 साल पहले एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद नजर आए थे। 1989 में जयललिता विपक्ष की नेता थी और द्रमुक के एम करुणानिधि मुख्यमंत्री थे। इसी साल 25 मार्च को सदन में द्रमुक और अन्नाद्रमुक विधायकों के बीच हाथापाई हुई। इस दौरान जयललिता की साड़ी खींची गई। इस घटना के बाद जयललिता ने एक बार खुद कहा था कि उस दिन सदन में द्रमुक नेताओं ने उनकी साड़ी खींची थी। सदन पहले भी हुआ शर्मसार 1997: यूपी में कल्याण सिंह सरकार को बहुमत साबित करना था। विश्वास मत के दौरान सदन में कुर्सियां चलीं। जमकर जूते-चप्पल भी चले। 2004: ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस और सत्तापक्ष के विधायकों के बीच हाथापाई हुई। मेज गिरने से तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक घायल हो गए थे। 2006: पश्चिम बंगाल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर हाथापाई हुई। कुर्सियां तोड़ी गईं। इसमें कई विधायक घायल हो गए थे। 2009: आंध्र प्रदेश में विपक्षी तेलुगु देशम, टीआरएस और वामदलों ने सीएम राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी की कंपनियों पर हेराफेरी का आरोप लगाया। इस दौरान गिलास तोड़े गए। इस घटना में कई विधायक घायल हो गए थे। 2009: महाराष्ट्र में सपा विधायक अबु आजमी हिंदी में शपथ ले रहे थे। इस दौरान एमएनएस के विधायकों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। 2010: बिहार में मानसून सत्र के दौरान एक घोटाले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए। इस दौरान कुर्सियां और स्पीकर की ओर चप्पल भी फेंकी गई।