नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार शेल्टर होम से जुड़े सभी 17 मामलों को सीबीआई के हवाले कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार पुलिस अपना काम नहीं कर रही है। कोर्ट ने बिहार सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उसने जवाब दाखिल करने लिए और समय की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई सभी मामलों की जांच के लिए तैयार है। अब सीबीआई ही शेल्टर होम से जुड़े सभी मामलों की जांच करेगी। हालांकि, मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में बिहार सरकार ने कहा कि आज आदेश जारी मत कीजिये, हमें एक मौका दीजिए। हमें एक हफ्ते का वक्त दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपनी डयूटी सही ढंग से नहीं निभाई, इसलिए मामले की जांच सीबीआई को देने की नौबत आई। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी का तबादला न हो। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 31 जनवरी तक स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं, सीबीआई ने बताया कि मुजफ्फरपुर मामले में सात दिसंबर को चार्जशीट दाखिल करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को शेल्टर होम की जांच करने वाली सीबीआई टीम को तमाम सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि टीआईएसएस की रिपोर्ट में उठाए गए सभी सवालों की जांच होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि सीबीआई निदेशक फिलहाल जांच करने की बात नहीं कह सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पॉलिसी फैसले न लेने के आदेश दिए हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में जांच करना पॉलिसी फैसलों में नहीं आता। निदेशक से बात करो और पांच मिनट में बताओ।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बालिका गृह रेपकांड पर सुवनाई करते हुए बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इस केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बिहार के मुख्य सचिव पहुंचे थे। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा, 'आपने वक्त पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? जांच कैसे कर रहे हैं? देरी से एफआईआर दर्ज करने का मतलब क्या रह जाता है? रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा-377 के तहत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया? ये बड़ा अमानवीय है। बेहद शर्मनाक है। आपने एफआईआर में हल्की धाराएं जोड़ी हैं. आईपीसी की धारा-377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए। 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं। क्या सरकार की नजर में वो देश के बच्चे नहीं?'
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल बुधवार दोपहर दो बजे तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने बिहार सरकार को 24 घंटे में एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा है। इसके साथ ही मुख्य सचिव को भी आदेश दिए हैं कि वे सुनवाई के दौरान कोर्ट में ही मौजूद रहें। बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए, 'मई में रिपोर्ट आई और आपने अब तक इस पर क्या एक्शन लिया? आपका रवैया ऐसा है कि अगर किसी बच्चे के साथ दुराचार होता है तो आप जुवेनाइल बोर्ड के खिलाफ ही कार्रवाई कर देंगे?'
सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि वो अपनी गलतियां सुधारेंगे। इसके साथ ही बिहार सरकार की ओर से कहा गया, 'सभी शेल्टर होम एक ही अथॉरिटी के अंतर्गत हों इसके लिए सरकार कदम उठा रही है। बिहार सरकार को जैसे ही शिकायत मिली, तुरंत कार्रवाई शुरू की।' बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले में बिहार सरकार को फटकार लगाई थी। मामले की मुख्य आरोपी मंजू वर्मा के नाकाम रहने पर फटकारा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये चौंकाने वाली बात है कि मंजू वर्मा को तलाश नहीं किया जा सका। कोर्ट ने कहा कि कमाल है, किसी को ये नहीं पता कि पूर्व मंत्री कहां हैं। बिहार सरकार को इस मामले में जवाब देना होगा। हालांकि, उसके कुछ दिन बाद आरोपी मंजू वर्मा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।