नई दिल्ली: देश को निचली न्यायपालिका में भी अखिल भारतीय परीक्षा कराने की जरूरत है जिससे प्रतिभावान छात्र-छात्राएं न्यायिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकें। यह बात यहां फोरम फार ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विसेज द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कही।
उन्होंने कहा कि जब देश में आईपीएस, आईआरएस और आईएएस हो सकता है तो एआईजेएस क्यों नहीं हो सकता है। ऐसा करने से एडिशनल जजों की नियुक्तियां होंगी। इसमें सफल हुए अभ्यर्थियों का भविष्य में एक पूल तैयार हो सकेगा, जिससे हायर ज्यूडिशियरी के जजों की नियुक्तियां करना आसान हो जाएगा। इन सबके लिए कानून मंत्रालय सभी सुझावों के लिए तैयार है। सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के साथ मिल-जुलकर काम करने को तैयार है। कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना आसान नहीं है। समाज के अलग-अलग वर्गों, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सरकार, इन सभी की सहमति के बिना इस पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
अधीनस्थ न्यायपालिका में 5000 पदों को भरने के लिए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई की सराहना करते हुए कहा कि यदि ज्यूडिशियरी को प्रभावी और तत्काल उत्तरदायी बनाना है तो हमें भर्ती प्रणाली को पारदर्शी और बेहतर बनाने की जरूरत है।
पूर्व मानव संसाधन राज्य मंत्री संजय पासवान ने लोगों की भागीदारी पर बल देते हुए कहा कि हाशिये वर्गों को भी ज्यूडिशियरी में भागीदारी मिलनी चाहिए। चाहे वो अनुसूचित जाति/जनजाति से हो, महिला या दिव्यांग हो, सबों का सभी क्षेत्र में हिस्सेदारी होनी चाहिए।