पटना: दिल्ली में एनडीए के सीट बंटवारे का फार्मूला तय हुआ और बिहार का अरवल जैसा छोटा शहर बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत दे गया। दिल्ली की घोषणा के कुछ ही देर बाद अरवल परिषद में केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच बंद कमरे में लगभग 15 मिनट तक बात हुई। बातचीत का सार तो पता नहीं चला, लेकिन इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गईं। हालांकि, तेजस्वी यादव से मुलाकात पर केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, एनडीए में सीट शेयरिंग पर अभी फाइनल नहीं हुआ है। अमित शाह जी ने कहा कि कुछ दिनों में फाइनल होगा। तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात सिर्फ संयोग था।
वहीं तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा, एक ही दिन में थोड़े ना सब कुछ होता है। धीरे-धीरे गाड़ी आगे बढ़ती है। क्या बातचीत हुई है, ये समय आने पर पता चल जाएगा। राज्य में रालोसपा को लेकर कई तरह के कयास शुरू से ही लगाए जाते रहे हैं। हाल में उपेंद्र कुशवाहा ने यदुवंशी का दूध और कुशवंशी के चावल से खीर बनाने की बात कहकर भी नये राजनीतिक समीकरण के संकेत दिए थे। हालांकि उहोंने तब कहा था कि इसका कोई राजनीतिक मायने नहीं है और उन्होंने सामाजिक समरसता को लेकर यह बात कही है।
लेकिन उसके पहले वह स्वास्थ्य का हाल जानने के बहाने राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मिल चुके थे। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी पहले से चल रही है कि दोनों नेताओं के बीच संदेशवाहक के माध्यम से बात लगातार हो रही है। ऐसा दावा करने वाले यह भी कहते हैं कि कुशवाहा ने लोकसभा की सात सीटों का दावा महागठबंधन के सामने रखा है। इन चर्चाओं को आज की मुलाकात से बल मिल गया है। वैसे भी जदयू के एनडीए में आने के बाद से ही रालोसपा नेता असहज दिखने लगे थे।
जदयू के एनडीए में आने के पहले से ही वह सरकार को घेरने के लिए आंदोलन चला रहे हैं। शिक्षा में सुधार के लिए शुरू किया गया आंदोलन पहले राज्य सरकार को निशाने पर ही लेकर शुरू किया गया था। कुशवाहा ने तेजस्वी से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा कि यह महज इत्तेफाक था कि दोनों अपने दल के कार्यक्रम के लिए एक साथ अरवल के परिसदन में थे। इसका कोई राजननीतिक अर्थ नहीं है। हम एनडीए में हैं और रहेंगे।