पटना: बिहार की राजनीति में कुछ सियासी दलों और नेताओं को लेकर पूरे साल अटकलों का बाजार गर्म रहता है। इनमें केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख हैं। कुशवाहा ने बीपी मंडल की जयंती पर इशारे ही इशारे में एक बयान दिया है, जिससे उनके बारे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। एक बार फिर उनके राजद के साथ जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। शनिवार को पटना में एक कार्यक्रम में उपेन्द्र कुशवाहा ने खीर बनाने की एक विधि बतायी।
उनके अनुसार अगर यदुवंशियों मतलब यादव का दूध और कुशवंशी मतलब कुशवाहा उसमें चावल मिलाये तो दुनिया की सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगी। फिर उन्होंने अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेता शंकर झा आज़ाद की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ये चीनी मिलाएंगे और दलित नेता भूदेव चौधरी उसमें तुलसी डालेंगे। कुशवाहा ने कहा कि अगर यह समीकरण एक साथ हो जाये तो राज्य की सता पर क़ाबिज़ हो सकते हैं। हालांकि इस सम्मेलन में कुशवाहा की पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की है।
जानकारों के अनुसार कुशवाहा अभी धीरे-धीरे लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति साफ़ कर रहे हैं। माना जा रहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा फिलहाल मंत्री पद की वजह से भाजपा के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव से पूर्व अगर राजद के साथ सीट बंटवारे पर ठीक-ठाक बात बन जाती है, तो वे एनडीए के ख़िलाफ़ महागठबंधन के साथ जाने में परहेज़ नहीं करेंगे।
दूसरी तरफ, कुशवाहा के इस बयान पर किसी ने अाधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भाजपा के नेता मानते हैं कि वे दबाव की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे बयानों से उन्हें लगता हैं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान उन्हें अधिक सीटें ऑफ़र कर सकता है। हालांकि जनता दल युनाइटेड के नेताओं का कहना है कि कुशवाहा पूर्व में भी भाजपा के खिलाफ लालू यादव के साथ मिलकर चुनाव में ज़ोर आज़माइश कर चुके हैं और हर बार उन्हें मुँह की खनी पड़ी है। ऐसे में किसी भी कदम से पहले ये बातें भी ध्यान में रखनी होंगी।