पटना: मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्पष्ट रूप से तो नहीं, मगर थोड़ा घूमाकर याद दिलाया कि बिहार राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। पटना में बैंकरो की एक बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने माना कि जब तक राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता तब तक यहां कोई पूंजी नहीं लगायेगा।
दरअसल, नीतीश का ये बयान कई कारणों से काफ़ी महत्व रखता है। सीएम नीतीश के इस बयान से यह साफ हो गया कि नीतीश और उनकी पार्टी ने विशेष राज्य के मुद्दे को ठंडे बस्ते में नहीं डाला है। खास बात ये है कि जब विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर नीतीश कुमार ये बयान दे रहे थे, उस वक्त उसी मंच पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
इस कार्यक्रम के बाद जब मोदी सरकार के चार साल पर सीएम नीतीश से पत्रकारों ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो वह बिना कुछ टिप्पणी किये चुपचाप निकल गये। हालांकि, बाद में अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से मोदी सरकार के चार साल पर नीतीश कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट में कहा कि 'माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सरकार के गठन के 4 साल पूरे होने पर बधाई. विश्वास है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।'
बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा देने की बात 2014 के चुनाव से पहले पीएम मोदी ने की थी, जब वह भाजपा की ओर से पीएम उम्मीदवार थे। विशेष राज्य का दर्जा देने का ऐलान पीएम मोदी ने पूर्णिया के सार्वजनिक सभा में किया था। नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के इसी भाषण वाले टेप का राजनीतिक इस्तेमाल किया था।
राजनीतिक जानकारो का मानना है कि नीतीश केंद्र से कई मुद्दों पर असहज चल रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक जानकारो का ये भी मानना है कि सीएम नीतीश ने सार्वजनिक मंच से ये बयान देकर भाजपा को याद दिलाया है कि वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के अपने वादे को पूरा करे।