नई दिल्ली: स्थानीय निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने की इजाजत दे दी है। मध्य प्रदेश में अब ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव होगा। अदालत ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को मंजूर किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को एक हफ्ते के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने को कहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार की संशोधन याचिका मंजूर कर ली है और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को आधार मानकर पंचायत चुनाव में आरक्षण का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश के आधार पर पंचायत चुनाव का नोटिफिकेशन जारी करे। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ट्रिपल टेस्ट का पालन करते हुए रिपोर्ट पेश की थी।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने संशोधन अर्जी दाखिल की थी और सुप्रीम कोर्ट से स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण नहीं देने के 10 मई के आदेश में संशोधन की मांग की थी।
कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया था।
इससे पहले पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर मध्यप्रदेश सरकार को झटका लगा था। दस मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होगा। कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग को 23,263 स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था।
उच्चतम न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग को दो हफ्ते के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किये बिना आरक्षण नहीं मिल सकता। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ओबीसी को बढ़ावा देने वाली राजनीतिक पार्टियां जनरल सीट पर ओबीसी उम्मीदवार को उतार सकती हैं।
एससी ने कहा कि निकाय चुनाव नहीं टालने के आदेश बाकी राज्यों पर भी लागू होगा। खाली सीटों पर 5 साल में चुनाव करवाना संवैधानिक ज़रूरत है, इसे किसी भी वजह से टाला नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग स्थानीय निकायों के लिए डी-लिमिटेशन प्रक्रिया और ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट मानदंड को पूरा किये बिना चुनाव नहीं करा सकती है।