पुणे: महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में महायुति के खराब प्रदर्शन के बाद से लगातार इस मुद्दे पर सियासी बहस जारी है। नतीजों के बाद आरएसएस के मुखपत्र में बीजेपी की सियासत को लेकर सवाल उठाए गए। एनसीपी को साथ लेने से बीजेपी की ब्रांड वैल्यू कम होने के आरएसएस के बयान पर अब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में सभी को टिप्पणी करने का अधिकार है।
पुणे में पार्टी की बैठक के बाद एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने आरएसएस की आलोचना पर प्रतिक्रिया दी है। अजित पवार ने कहा, ''मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं। चुनाव के बाद कई राजनीतिक दलों के लोग अपनी राय पेश कर रहे हैं।''
अजित पवार ने आगे कहा, ''चुनाव में जो कुछ हुआ, उस पर वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। मैं उनकी आलोचना नहीं करना चाहता। मैं विकास पर ध्यान केंद्रित करूंगा। मैंने इस बात पर फोकस किया है कि हमारे जिले और राज्य की मदद कैसे की जाएगी, कितने महत्वपूर्ण काम किए जाएंगे।''
आरएसएस के मुखपत्र ने क्या कहा?
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपने मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में कहा था कि एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार के पास स्पष्ट बहुमत था, फिर भी एनसीपी अजित पवार गुट को साथ लिया गया। यह महाराष्ट्र के मतदाताओं को अच्छा नहीं लगा। क्या यह प्रयोग नहीं किया गया था। अजित पवार को अपने साथ लेने से राज्य में नंबर एक पार्टी बन चुकी बीजेपी की ब्रांड वैल्यू में गिरावट आई है।''
मुखपत्र में कहा गया, ''2024 का लोकसभा परिणाम कई अति आत्मविश्वासी बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक वास्तविकता की जांच है। सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करके चुनाव नहीं जीता जा सकता। हर कोई इस भ्रम में था कि वे मोदी के नाम पर चुने जाएंगे, उन्हें नहीं पता था कि सड़कों पर लोगों के मन में क्या है।