मुंबईः इंडिया गठबंधन में शामिल शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण और नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने पर जोरदार हमला किया है। पार्टी ने अपने मुखमत्र "सामना" में इसे लेकर कड़ी टिप्पणी की है। सामना के सोमवार (29 जनवरी) के संस्करण में छपे संपादकीय में लिखा है, देश में "जय श्रीराम" के नारे लगाए जा रहे हैं, लेकिन बिहार में "जय श्री पलटूराम" का नारा सुनाई दे रहा है। ये पलटूराम "इंडिया" गठबंधन के कर्ताधर्ता रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी है और भारतीय जनता पार्टी के साथ नई साझेदारी शुरू की है।
कॉलम में आगे कहा गया है, लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से तलाक लेकर इस उम्र में फिर से भाजपा के साथ जिंदगी की शुरुआत करना नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन का अंत है। नैतिकता और सिद्धांतों की राजनीति की बात करने वालों की ओर से ही नैतिकता की ऐसी की तैसी कर दी जाए तब भारतीय जनता पार्टी को क्यों दोष दिया जाए? भाजपा के लोग इस समय बाजार में सबसे बड़े खरीददार हैं।
कॉलम में कहा गया है, जब विक्रेता सामान बेचने के लिए तैयार है, तो खरीददार और ठेकेदार बोली लगाएंगे ही।
जेपी के आंदोलन का जिक्र कर कसा तंज
महाराष्ट्र का माल पचास.पचास खोकों में बिक गया। बिहार के माल की क्या कीमत लगाई गई, यह भी देश की जनता को समझ में आना चाहिए। नीतीश कुमार को देश की राजनीति में एक केस स्टडी के तौर पर देखा जाना चाहिए। राजनीति में कोई व्यक्ति कम समय में कितनी बार रंग बदल सकता है, यह शोध का विषय है। जय प्रकाश नारायण के आंदोलन और तानाशाही विरोधी आंदोलन से शुरू हुई नीतीश कुमार की यात्रा मोदी-शाह की तानाशाही के आगे घुटने टेकने के चलते मसान में खत्म हो गई है। इसके लिए उनके आज तक के करियर को श्रद्धांजलि अर्पित करके जनता को आगे बढ़ना चाहिए।
नीतीश कुमार को याद दिलाया पुराना भाषण
नीतीश कुमार ने भाजपा की तानाशाही के खिलाफ लड़ने के लिए "इंडिया" गठबंधन में सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की पहल की थी। इन्होंने ही इसकी पहली बैठक पटना में बुलाई और इसे सफल बनाया। इस बैठक में नीतीश कुमार का भाषण एक राष्ट्रीय चिंतन जैसा था। उन्होंने देश में संकट होने, संविधान खतरे में होने और केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की बात कही थी। इन्होंने आखिरी सांस तक लड़ते रहने का निश्चय किया था, लेकिन इस निश्चय की धोती अब खुल गई है और नीतीश कुमार ने पलटी मार ली है।
अखबार ने इस लेख में भारतीय जनता पार्टी को भी घेरा है। इसमें लिखा है कि बीजेपी के कार्यकाल में राजनीति का स्तर काफी गिर गया है। लोकतंत्र और नैतिकता शब्द हवन में स्वाहा हो गए हैं।
मोदी और शाह की जोड़ी का भी लिया नाम
सामने के संपादकीय में आगे लिखा गया है, "इंडिया" गठबंधन में नीतीश कुमार का बड़ा कद था। उन्होंने ही इसकी शुरुआत की थी। उनका कहना था कि मोदी-शाह की जकड़ में दम घुटते देश को बचाने की जरूरत है, लेकिन इस नीतीश कुमार के शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकलांग हो जाने का फायदा आज भाजपा ने उठाया। ईडी, सीबीआई के डर से अच्छे-अच्छे लोगों ने पलटी मारी है। नीतिश कुमार ने पलटी क्यों मारी, यह शोध का विषय है। पलटूरामों का शासन ही देश पर आ गया है। अयोध्या में राम और देश में पलटूराम! अजीत पवार के 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश खुद प्रधानमंत्री मोदी करते थे और फिर महज दो दिन में उन्हीं अजीत पवार को भाजपा के साथ लेकर उपमुख्यमंत्री बना देते हैं। नीतीश कुमार के साथ भी ऐसा ही है। जब प्रधानमंत्री पलटूराम बन गए तो अयोध्या के राम क्या करेंगे। पलटूरामों के आगे अयोध्या के राम भी बेबस हो गए हैं।