मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ी न्यूज कवरेज को लेकर दाखिल कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। इस मामले में कोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को इसकी जानकारी देने को कहा है कि उसने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल से संबंधित शिकायतों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की है?
एनबीए ने कोर्ट से कहा है कि रिपब्लिक टीवी एनबीए के नियमों का पालन नहीं करना चाहता था, इस वजह से वह एसोसिएशन से अलग हो गया। वहीं सुनवाई में एनबीए और एनबीएसए (न्यूज बॉर्डकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी) का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने बताया कि चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र लगन से काम कर रहा है।
बता दें कई पूर्व आईपीएस अधिकारियों समेत नामी हस्तियों की तरफ से दाखिल इन याचिकाओं में इस मसले के मीडिया ट्रॉयल पर रोक लगाने की मांग की गई है।
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि यदि सरकारी अधिकारी कुछ गलत करते हैं तो उन्हें हटाने का प्रावधान है। यही व्यवस्था निजी कर्मचारियों के लिए भी है। पीठ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की हालिया टिप्पणी का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने सरकार को कहा है कि वह प्रेस को ही आत्म नियमन के लिए प्रोत्साहित करे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कार्रवाई को लेकर भी वैधानिक व्यवस्था बनाई है। चैनल के बारे में शिकायत मिलने के बाद नेशनल ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (एनबीए) को भेजा जाता है। यदि वह कार्रवाई नहीं करते हैं तो सरकार कार्रवाई करती है।