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मुंबई: कृषि से जुड़े बिलों के विरोध में पहले हरसिमरत कौर बादल ने नरेंद्र मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया। इसके बाद कल अकील दन ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अपना नाता तोड़ लिया। इसके बाद शिवसेना ने एनडीए के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। राज्यसभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'एनडीए के मजबूत स्तंभ शिवसेना और अकाली दल थे। शिवसेना को मजबूरन एनडीए से बाहर निकलना पड़ा, अब अकाली दल निकल गया। एनडीए को अब नए साथी मिल गए हैं, मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं। जिस गठबंधन में शिवसेना और अकाली दल नहीं हैं मैं उसको एनडीए नहीं मानता।'

अकाली दल ने भाजपा से 22 साल पुराना नाता तोड़ा

किसान बिल को लेकर नाराज चल रही शिरोमणि अकाली दल (अकाली दल) ने एनडीए से 22 साल पुराना अपना नाता तोड़ लिया है। भाजपा और एनडीए से अलग होने के फैसले की जानकारी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार देर शाम दी।

सुखबीर बादल ने कहा, शिरोमणि अकाली दल की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई कोर समिति की आपात बैठक में भाजपा नीत राजग से अगल होने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। इस बैठक में पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद थे।

अकाली दल के वरिष्ठ नेता नरेश गुजराल ने कहा कि हमारी पार्टी किसानों से जुड़ी है। हम उनके मुद्दों की अनदेखी नहीं कर सकते। इसलिए एनडीए का साथ छोडने का फैसला लिया गया है। दरअसल शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संसद में पेश किए गए कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। तभी से भाजपा और अकाली दल के बीच दरार पड़ने लगी थी।

1998 से अकाली दल एनडीए में था

वर्ष 1998 में जब लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए बनाने का फैसला किया था, तो उस वक्त जॉर्ज फर्नांडीज की समता पार्टी, जयललिता की अन्नाद्रमुक, प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाला अकाली दल और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना इस संगठन में शामिल हुए थे। समता पार्टी का बाद में नाम बदलकर जदयू हो गया। जदयू और अन्नाद्रमुक एनडीए से एक बार अलग होकर वापसी कर चुकी है। शिवसेना अब कांग्रेस के साथ है। अकाली दल ही ऐसी पार्टी थी, जिसने अब तक एनडीए का साथ नहीं छोड़ा था।

 

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