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मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं समेत तीन लोगों की मॉब लिंचिंग किए जाने की घटना की देशभर में कड़ी आलोचना की गई। राज्य सरकार ने इस मामले पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश देते हुए कार्रवाई की और 9 नाबालिग समेत 110 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन, पालघर मॉब लिंचिंग पर पहली बार राष्ट्रीय स्वंय सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को सवाल उठाया है। मोहन भागवत ने कहा, “2 साधुओं की हत्या। क्या यह होना चहिए? क्या कानून व्यवस्था किसी एक के हाथ में लिया जाना चाहिए था? पुलिस को क्या करना चाहिए था? ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर सोचा जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि भारत के हितों की विरोधी ऐसी ताकतों के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है जो स्थिति का फायदा उठाना चाहती हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संकट की इस घड़ी में प्रभावित सभी लोगों की मदद भेदभाव के बिना की जानी चाहिए और देश के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के कार्यकर्ताओं के नाम ऑनलाइन संबोधन में कहा, ''हमें धैर्य और शांति से काम करना होगा। कोई भय या गुस्सा नहीं होना चाहिए क्योंकि भारत विरोधी मनोवृत्ति रखनेवाले लोग इसका इस्तेमाल देश के खिलाफ कर सकते हैं।''

संघ प्रमुख ने संभवत: तबलीगी जमात के लोगों से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में कहा कि यदि किसी ने कुछ गलत किया है तो हर किसी को अपराधी न मानें। कुछ लोग इसका दुरुपयोग करना चाहते हैं। भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं से बिना भेदभाव लोगों की सेवा करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिन्हें भी सहायता की आवश्कता है, ''वे हमारे अपने हैं।'' आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''संकट की इस घड़ी में सहायता करना हमारा दायित्व है। सभी 130 करोड़ भारतीय अपने हैं।''

--------क्या है पालघर मॉब लिंचिंग का पूरा मामला?

दरअसल, महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल की रात गुजरात के सूरत जा रहे मुंबई में कांदिवली के रहने वाले तीन लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इसमें दो साधु और एक उनका ड्राइवर था। उनके वाहन को एक गांव के पास रोका गया था। उनके चोर होने के शक में भीड़ ने उन्हें उनकी कार से निकालकर लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था। मृतकों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) और वाहन चालक निलेश तेलगाडे (30) के तौर पर हुई है।

उमा भारती ने की थी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग

भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पालघर मॉब लिंचिंग को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मांग की कि वह राज्य के पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग के मामले में उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी हत्या का मामला दर्ज करें, जिन्होंने उन्हें बचाने की बजाय उन्हें मॉब के हवाले हो जाने दिया। उमा ने सीएम ठाकरे को लिखे खत में कहा, ''पालघर में मॉब की तरफ से साधुओं की हत्या हुई है, यह कानून की दृष्टि में जघन्य अपराध एवं धर्म की दृष्टि से महापाप है। आप महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। आपने स्वयं यह कृत्य नहीं किया है, लेकिन आपके द्वारा शासित राज्य में यह जघन्य कृत्य हुआ है। इसलिए इसमें सभी दोषियों को दंडित करना होगा।''

उन्होंने कहा, ''जिन पुलिसकर्मियों के हाथ पकड़कर वह असहाय साधु जीवन रक्षा की गुहार लगा रहे थे, उन पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचाने के बजाय उन्हें भीड़ के हवाले हो जाने दिया और वह खुद को छुड़ाकर अलग हो गए। वे पुलिसकर्मी भी हत्या के आरोपी हैं। उन पर भी आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। यदि वह चाहते तो हवा में फायर करके उन साधुओं को बचा सकते थे।''

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