मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन के बीच चीनी मिल के एक लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने गांव लौटने की इजाजत देने का फैसला किया है। लेकिन पहले उनकी कोरोना की जांच कराई जाएगी। राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने यह जानकारी दी। मंत्री के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि 1.31 लाख चीनी मिल मजदूर राज्य में 38 चीनी मिलों के परिसरों में बने अस्थायी आवास में रह रहे हैं, जबकि कई अन्य मजदूर दूसरे स्थानों पर फंसे हुए हैं। हालांकि, इन प्रवासी मजदूरों को अपने गांव लौटने की इजाजत देने से एक जिले से दूसरे जिले में भारी संख्या में लोगों की आवाजाही होगी।
मिल मालिकों को जांच करानी होगी
मुंडे ने ट्वीट में कहा कि चीनी मिलों में काम करने वाले मेरे भाइयों, आपके लिए एक अच्छी खबर है! आप अब अपने गांव लौट सकते हैं। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। सरकार के इस फैसले से बीड और अहमदनगर के मजदूरों को फायदा होगा जो पश्चिमी महाराष्ट्र, कर्नाटक से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों और राज्य के अन्य हिस्सों में फंसे हुए हैं।
बयान में कहा गया है कि चीनी मिल के मालिकों को इन मजदूरों और उनके परिजनों की जांच करानी होगी।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य में राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने शुक्रवार को संकेत दिया कि 14 अप्रैल को मुंबई में बांद्रा स्टेशन के पास प्रवासी श्रमिकों का एकत्र होना राजनीतिक साजिश हो सकती है। थोराट ने कहा कि भीड़ एकत्र होने के तुरंत बाद ट्विटर पर 'उद्धवरिजाइन' (उद्धव इस्तीफा दो) और 'प्रेसिडेंट्स रूल इम्पोजिशन' (राष्ट्रपति शासन लागू करो) जैसे हैशटेग छाए हुए थे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य के मुख्यमंत्री को फोन किया।
उन्होंने कहा, ''सूरत में (भाजपा शासित गुजरात में) दो बार प्रवासी मजदूर सड़कों पर आए और देश में अन्य जगह भी लेकिन मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने वहां के मुख्यमंत्रियों को फोन किया अथवा बांद्रा वाली घटना के बाद जैसा ट्विटर पर युद्ध छिड़ गया हो।'' एक अन्य सवाल के जवाब में थोराट ने कहा कि राज्यपाल बीएस कोश्यारी को जल्द ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में नियुक्त करना चाहिए क्योंकि यह राज्य में राजनीतिक स्थिरता का विषय है।