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मुंबई: शिवसेना ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार को ‘मुफ्त प्रसिद्धि’ दिलाने के लिए भाजपा पर सोमवार को परोक्ष हमला करते हुए पूछा कि कन्हैया को इतने कम समय में जमानत कैसे मिल गई जबकि ‘देशद्रोह’ के अन्य आरोपी अब भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा कि (केंद्रीय मंत्री) वेंकैया नायडू ने कहा कि कन्हैया कुमार को मुफ्त प्रसिद्धि मिल रही है। यदि ऐसा है तो उसे मुफ्त की यह प्रसिद्धि दिलाने के लिए कौन जिम्मेदार है? आज, कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। उसने कहा कि छोटी से छोटी चीज की कीमत चुकानी पड़ती है। पीएफ में बचत की राशि जमा करने वाले कामकाजी वर्ग के लोगों और श्रमिकों की कमाई पर भी अब कर लगेगा। संक्षेप में, सरकार ने लोगों को केवल यह दिखाया है कि कुछ भी मुफ्त नहीं दिया जाएगा। शिवसेना ने कहा कि गुजरात में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग के आंदोलन का नेतृत्व करने वाला हार्दिक पटेल ‘देशद्रोह’ का आरोप लगने के बाद अब भी सलाखों के पीछे है और वही स्थिति कर्नल पुरोहित तथा साध्वी प्रज्ञा की है।

शिवसेना ने कहा कि तो कन्हैया को इतनी आसानी से जमानत कैसे मिल गई? क्या उसे जेल में रखना सरकार के लिए मुसीबत बन गया था और उसे (सरकार को) कई प्रश्नों का जवाब देना पड़ता? कन्हैया की जीभ काटने वाले को पांच लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा करने वाले भाजपा नेता कुलदीप वाष्र्णेय का जिक्र करते हुए पार्टी ने कहा कि यदि नायडू कहते हैं कि कन्हैया को मुफ्त में प्रसिद्धि मिल रही है, तो इसके लिए हमारी व्यवस्था और प्रशासन जिम्मेदार है। लोग कन्हैया पर हमला करने के लिए पुरस्कार की घोषणा कर रहे हैं, इसलिए वह नायक बन गया है। कुलदीप वाष्र्णेय का आरोप है कि कन्हैया जमानत पर रिहा होने के बाद से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोल रहा है। दिल्ली में लगाए गए एक पोस्टर में कन्हैया को ‘गोली मारने’ वाले व्यक्ति को 11 लाख रपए दिए जाने की घोषणा की गई है। शिवसेना ने कहा कि (राजनेताओं का) एकमात्र लक्ष्य चुनाव जीतना और सरकार गठित करना है। इसने कहा कि चुनाव से पहले किए गए वादे हवा में उड़ जाते हैं और किसान, मजदूर, श्रमिक वर्ग और छात्र इसके कारण पीड़ित हो रहे हैं। यदि ऐसा जारी रहता है तो देश के भीतर मानव बम बनने लगेंगे। राजनीतिक खेल के लिए इन युवाओं का इस्तेमाल होगा। देशद्रोह के मामले में 12 फरवरी को गिरफ्तार किए गए कन्हैया को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद तीन मार्च को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया था।

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