नई दिल्ली: मशहूर कवि, गीतकार, फिल्मकार एवं पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने तालिबान को बर्बर बताते हुए उसकी हरकतों की जमकर आलोचना की है। शुक्रवार को एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि तालिबानी बर्बर है और उनकी करतूतें निंदनीय हैं। इसके साथ ही वे यह जोड़ना नहीं भूले कि जो आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी )और बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी ऐसे ही हैं।
सांसद रह चुके जावेद ने कहा कि देश में मुस्लिमों का एक छोटा सा हिस्सा ही तालिबान का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथियों की विचारधारा दमनकारी है। जावेद अख्तर ने इस चर्चा में खुलकर अपने विचार रखते हुए कहा कि तालिबान और 'तालिबान की तरह बनने की चाहत रखने वालों' के बीच अजीबोगरीब समानता है। दिलचस्प बात यह है कि दक्षिणपंथी इसका इस्तेमाल खुद को प्रमोट करने के लिए इस उद्देश्य से करते हैं कि उसी तरह बन सके, जिसका वे विरोध कर रहे हैं।
देश के मुस्लिमों की ओर से तालिबान का समर्थन किए जाने संबंधी सवाल कर उन्होंने कहा, 'मुझे उनका बयान शब्दश: याद नहीं है, लेकिन कुछ मिलाकर उनकी भावना यह थी कि वे अफगानिस्तान में तालिबान का स्वागत करते हैं। मैं कहना चाहूंगा कि यह हमारे देश की मुस्लिम आबादी का छोटा सा हिस्सा हैं।' उन्होंने कहा, 'जिन मुस्लिमों से मैंने बात की, उनसे से अधिकतर हैरान थे कि कुछ लोगों ने ऐसे बयान दिए। भारत में युवा मुसलमान अच्छा रोजगार, अच्छी शिक्षा और अपने बच्चों के लिए अच्छा स्कूल चाहते हैं। लेकिन दूसरी तरह कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इस तरह की संकीर्ण सोच में विश्वास रखते हैं, जहां महिला और पुरुषों से अलग-अलग व्यवहार होता है और पीछे की ओर ले जानी वाली सोच (रिग्रेसिव थिंकिंग) रखी जाती है।'
जावेद ने कहा, 'जैसा कि मैंने कहा कि ये लोग थोड़े से हैं, ऐसे में वे जो कहते हैं, कहने दीजिए ये इसमें सफल नहीं होने वाले। 'अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि दुनियाभर में दक्षिणपंथी भी यही चाहते हैं। जैसे तालिबान, इस्लामिक राष्ट्र चाहता है, वहीं ऐसे भी हैं जो हिंदू राष्ट्र चाहते हैं। यह लोग एक जैसे माइंडसेट के हैं फिर चाहे वे मुस्लिम हों, ईसाई, यहूदी या फिर हिंदू। उन्होंने कहा, बेशक तालिबानी बर्बर हैं, लेकिन जो आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल को सपोर्ट कर रहे, वे भी ऐसे ही है। यह देश मूलत: सेक्युलर देश है, यहां की ज्यादातर आबादी सेक्युलर है, ऐसे में तालिबान का विचार किसी भी भारतीय को आकर्षित नहीं कर सकता। इस देश के ज्यादातर लोग सभ्य और सहनशील हैं, इसका सम्मान किया जाना चाहिए। भारत कभी तालिबानी देश नहीं बन सकता। अफगानिस्तान में तालिबानियों ने जिस तरह से कुछ सप्ताहों में सब चीजों पर नियंत्रण कर लिया, वह सब कुछ स्टेज्ड ( मंचित) लगता है। जब वहां अच्छी खासी सेना थी, फिर किस तरह कार और ट्रकों पर सवार लोगों ने आसानी से शहरों पर कब्जा कर दिया। निश्चित रूप से यह अमेरिका, उसकी कठपुतली सरकार और तालिबान की मिलीभगत होगी।