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नई दिल्ली: मशहूर बांग्ला एक्टर सौमित्र चटर्जी का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनका निधन कोलकाता में हुआ। चटर्जी को राजनेता और साथी कलाकार एक महान सांस्कृतिक प्रतीक, भरोसेमंद दोस्त और विविध क्षेत्रों में रुचि रखने वाले दिग्गज के तौर पर याद कर रहे हैं। सौमित्र चटर्जी को छह अक्टूबर को अस्पताल में कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने पर भर्ती कराया गया था। वह संक्रमण से उबर गए लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। चटर्जी ने 1959 में सत्यजीत रे की प्रसिद्ध अपु श्रृंखला की तीसरी फिल्म ‘अपुर संसार' से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और इसके बाद उन्होंने रे के साथ “चारुलता”, “घरे बायरे”, “देवी” और “अर्यनेर दिन रात्रि” जैसी कई फिल्मों में काम किया।

सौमित्र चटर्जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चटर्जी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उनका निधन विश्व सिनेमा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और पूरे देश के सांस्कृतिक जीवन के लिए बहुत बड़ी क्षति है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, "श्री सौमित्र चटर्जी का निधन विश्व सिनेमा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और पूरे देश के सांस्कृतिक जीवन के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनके निधन से अत्यंत दुख हुआ है। परिजनों और प्रशंसकों के लिए मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।''

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वयोवृद्ध अभिनेता के निधन को बंगाल के लिये बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि सौमित्र चटर्जी “एक योद्धा थे जिन्हें उनके काम के लिये याद किया जाता रहेगा। यह बंगाल और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के लिये दुखद दिन है।” बनर्जी ने ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “फेलूदा नहीं रहे। ‘अपु' ने अलविदा कह दिया। विदाई, सौमित्र (दा) चटर्जी। वह अपने जीवनकाल में दिग्गज रहे। अंतरराष्ट्रीय, भारतीय और बंगाली सिनेमा ने एक महान सितारा खो दिया। हमें आपकी कमी बहुत महसूस होगी। बंगाल का फिल्म जगत अनाथ हो गया।” बनर्जी ने घोषणा की कि चटर्जी के अंतिम संस्कार से पहले उन्हें बंदूकों से सलामी दी जाएगी।

बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी सौमित्र चटर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे बड़ी क्षति बताया। चटर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वे बंगाली सिनेमा को नई ऊंचाई तक लेकर गए। उन्होंने कहा, “सौमित्र दा के तौर पर भारतीय रजट पट ने एक रत्न खो दिया। मेरी भावनाएं व प्रार्थना उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति शांति शांति।” 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चटर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया। गांधी ने ट्वीट किया, “दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित श्री सौमित्र चटर्जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ, एक शानदार अभिनेता और राष्ट्र उन्हें याद करेगा। उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।”

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी चटर्जी के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका अभिनय युवा पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। नड्डा ने ट्वीट किया, ‘‘प्रख्यात बंगाली कलाकार श्री सौमित्र चटर्जी के निधन पर गहरा दुख पहुंचा है। उनका लंबा और उत्कृष्ट करियर रहा और इस दौरान उन्होंने अभिनय के लिए कई पुरस्कार हासिल किए। वह युवा पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे। उनके परिवार के सदस्यों और चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।''

“अपुर संसार”, “देवी” और कई अन्य फिल्मों में दिवंगत अभिनेता के साथ काम कर चुकीं अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने कहा कि चटर्जी उनके सबसे करीबी मित्र थे। शर्मिला टैगोर  ने बताया, “जब हम ‘अपुर संसार' में काम कर रहे थे तो मैं 13 वर्ष की थी और वह मुझसे 10 साल बड़े थे। मैं उनका बेहद सम्मान और सराहना करती थी। टाइगर (पति) और शशि कपूर के बाद वह मेरे सबसे पुराने मित्रों में से थे। वह बेहद भरोसेमंद और मजाकिया दोस्त थे।” ‘अपुर संसार' को बेहद खूबसूरत दोस्ती की शुरुआत बताते हुए उन्होंने कहा, “लेकिन मैं जानती हूं कि वह हमेशा हमारी यादों में रहेंगे क्योंकि उनकी विरासत बेहद व्यापक है। उनका दायरा बहुत व्यापक था। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे। वह पेंटिंग करते थे, गाना गाते थे, पढ़ते थे, उन्हें थियेटर का काफी ज्ञान था, वह अपने नाती पोतों के लिये कविताएं व लघु कथाएं लिखते थे।”

सत्यजीत रे के बेटे और फिल्म निर्देशक संदीप रे ने कहा कि उन्होंने एक वृत्तचित्र के लिये 30 सितंबर को चटर्जी का एक साक्षात्कार लिया था। यह उनके अस्पताल में भर्ती होने से महज एक हफ्ते पहले की बात है। उन्होंने कहा, “वह बेहद सजग थे। उनकी आवाज में उत्साह था। उन्हें अपनी फेलूदा फिल्मों समेत पिताजी के साथ शूटिंग के अनुभव बेहद बारीकी से याद थे।” 

अभिनेत्री अपर्णा सेन ने बताया कि वह 14 साल की उम्र में पहली बार चटर्जी से उनके आवास पर मिली थी। उन्होंने कहा, “अपने करियर के शुरुआती दिनों में मैं ‘अपरिचितो' और ‘आकाश कुसुम' जैसी फिल्मों के दौरान सौमित्र काकू को हतप्रभ देखती रहती।” सेन याद करती हैं, “अपने व्यस्त फिल्मी कार्यक्रम के बावजूद वह कविता लिख लेते थे, याद कर लेते थे, स्केच बनाते थे, छोटी पत्रिकाओं का संपादन करते थे।”

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