ताज़ा खबरें
एलजी ने सीएम आतिशी को केजरीवाल से ‘हजार गुना बेहतर’ बताया
कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खड़गे-श्रीनेत को भेजा कानूनी नोटिस

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था में आगामी छह महीनों में सुधार की उम्मीद है। उद्योग मंडल एसोचैम बिजकॉन सर्वेक्षण के अनुसार क्षमता के कम इस्तेमाल तथा मुनाफा मार्जिन पर दबाव की वजह से निजी क्षेत्र का निवेश चिंता का विषय बना हुआ है। सर्वेक्षण में शामिल 63 प्रतिशत लोगों का विचार है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति में आगामी छह महीने में सुधार होगा। हालांकि, इसमें कहा गया है कि क्षमता के कम इस्तेमाल की वजह से निजी क्षेत्र का निवेश, अतिरिक्त आपूर्ति और मुनाफे पर दबाव अगली कुछ तिमाहियों में चिंता का विषय बने रहेंगे। घरेलू निवेश के मामले में 58.3 प्रतिशत लोगों की राय थी कि व्यक्तिगत कंपनी के स्तर पर निवेश योजना में कोई बदलाव नहीं होगा।

नई दिल्‍ली: सरकार अगले महीने पेश होने वाले बजट से पहले पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में और वृद्धि करने की संभावना तलाश रही है ताकि राजस्व बढ़ाया जा सके और 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहा जा सके। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘कच्चे तेल की घटती कीमतों से पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की गुंजाइश बनी है। इससे चालू वित्त वर्ष के लिए 3.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। राजकोषीय घाटे का लक्ष्य अटल है और लक्ष्य पूरा करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।’

दावोस: सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को उच्च स्तर पर ले जाने और सुधार एजेंडे को जारी रखने को लेकर आश्वस्त वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज (शनिवार) को कहा कि एक मुख्य सुधार जिसपर भारत में अभी काम चल रहा है वह है कारोबार सुगमता और उसके लिये कदम उठाये जा रहे हैं। जेटली ने यह भी कहा कि राजनीतिक विरोध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर सुधार समेत सुधार प्रक्रिया में बाधा पैदा नहीं कर सकता है और उन्हें उम्मीद है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भी पारित हो जाएगा। जीएसटी उन कुछ सुधारों में शामिल है जो अटके पड़े हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में कारोबार सुगमता में भारत की रैंकिंग सुधरी है लेकिन इस क्षेत्र में अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत है।

दावोस: जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों को कड़ा संदेश देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि बैंकों से काफी मात्रा में कर्ज ले रखी बड़ी कंपनियों को बेहतर आचरण करना चाहिए और गंभीर रूप से कर्ज में डूबे होने के बावजूद ‘जन्मदिन की बड़ी बड़ी पार्टियों’ जैसे फिजुलखर्च से बचना चाहिए। देश में बड़ें-बड़े कर्जदाता से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हम उसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं..यह कोई बड़ी कंपनियों, धनी लोगों का मामला नहीं है। यह कोई राबिन हुड वाला मामला नहीं है। यह समाज में गलत काम करने वालों से जुड़ा मामला है..। राजन ने कहा,..अगर आप काफी कर्ज लेने के बाद भी जन्मदिन की बड़ी पार्टी पर फिजलुखर्च करते हैं, इससे लोगों को लगेगा कि मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख